

कांवड़ यात्रा में उत्तर प्रदेश सरकार के QR Code संबंधी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया है।
कांवड़ यात्रा में उत्तर प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला
New Delhi: सावन में कांवड़ यात्रा के रूट पर स्थित दुकानों और रेस्टोरेंट्स के मालिकों को पहचान के लिये अपने प्रतिष्ठानों पर QR Code और पहचान दर्शाने का उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर पिछले दिनों से लगातार चर्चाएं जारी है। यूपी सरकार के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूपी सरकार के QR Code संबंधी आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस मामले पर यूपी सरकार को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के QR Code संबंधी आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
कांवड़ यात्रा में यूपी सरकार के QR Code संबंधी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार#KanwarYatra #SupremeCourt pic.twitter.com/8y7ONWUUeb
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) July 22, 2025
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद साफ हो गया है कि कांवड़ यात्रा रूट पर स्थित दुकानों और रेस्टोरेंट्स मालिकों को पहचान के लिये अपने प्रतिष्ठानों पर QR Code लगाना अनिवार्य होगा।
सरकार का तर्क
सरकार ने इस आदेश के पीछे सुरक्षा और स्वच्छता का हवाला दिया। राज्य सरकारों का कहना था कि QR कोड लगाने का उद्देश्य तीर्थयात्रियों को स्वच्छ और प्रमाणिक भोजन की जानकारी देना था, जिससे कोई स्वास्थ्य जोखिम न हो और यात्रा के दौरान व्यवस्थाएं पारदर्शी बनी रहें।
याचिकाकर्ताओं की आपत्ति
हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश को निजता के अधिकार और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ बताया। उनका तर्क था कि इस आदेश के जरिए दुकानदारों को उनकी धार्मिक पहचान उजागर करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो भारतीय संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ है। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट के 2024 के उस आदेश की अवमानना भी बताया, जिसमें कहा गया था कि दुकानदारों को केवल यह बताना होगा कि वे क्या बेच रहे हैं, न कि वे कौन हैं।
पिछले साल का आदेश
2024 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें दुकानों को अपने और अपने कर्मचारियों के नाम सार्वजनिक करने को कहा गया था। कोर्ट ने तब स्पष्ट किया था कि पहचान उजागर करना आवश्यक नहीं है।