गोरखपुर में न्याय की जीत! दहेज के दानव को 8 साल की सजा, जानिए क्या था पूरा मामला?

गोरखपुर में दहेज के लिए हुई एक विवाहिता की हत्या के मामले में आरोपी कोर्ट ने कड़ी सजा सुनाई है। जानिये क्या था पूरा मामला?

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 28 June 2025, 10:45 AM IST
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गोरखपुर: दहेज की भूख ने एक और मासूम की जिंदगी छीन ली थी, लेकिन गोरखपुर की अदालत ने इंसाफ का झंडा बुलंद कर दिया। खजनी थाना क्षेत्र में 2019 में दहेज के लिए एक विवाहिता की बेरहमी से हत्या करने वाले आरोपी धनंजय तिवारी को आखिरकार सजा-ए-कैद की सलाखों के पीछे भेज दिया गया। एडीजे/एफटीसी-1 कोर्ट, गोरखपुर ने उसे 8 साल की सश्रम कारावास और 8500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार,  यह जीत न सिर्फ पीड़ित परिवार की है, बल्कि समाज में दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ एक मजबूत संदेश है। बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस के "ऑपरेशन कनविक्शन" अभियान के तहत यह कार्रवाई हुई है।

गोरखपुर पुलिस ने दिखाई सक्रियता

दरअसल, एसएसपी गोरखपुर राज करन नैयर के कुशल निर्देशन में थानाध्यक्ष खजनी अनूप सिंह, मॉनिटरिंग सेल और पैरोकारों की टीम ने दिन-रात मेहनत कर इस केस को अंजाम तक पहुंचाया। कोर्ट में ADGC रमेश चन्द्र पाण्डेय और ADGC सिद्धार्थ सिंह की जोरदार पैरवी ने धनंजय तिवारी के अपराध को साबित कर दिया। बताया जा रहा है कि उनकी तर्कपूर्ण दलीलें और सबूतों की मजबूत प्रस्तुति ने आरोपी को बचने का कोई मौका नहीं दिया।

क्या था पूरा मामला?

गौरतलब है कि साल 2019 में खजनी थाना क्षेत्र में दहेज की मांग पूरी न होने पर धनंजय तिवारी ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी। इस जघन्य अपराध के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और मुकदमा संख्या 61/2019 दर्ज किया गया। धारा 498A, 304B, 323 IPC और 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ।

समाज के लिए बनी चेतावनी

वहीं गोरखपुर पुलिस ने सबूतों को मजबूती से जुटाया और कोर्ट में पेश किया, जिसके कारण पीड़ित परिवार को 6 साल बाद इंसाफ मिला। यह सजा न केवल एक अपराधी को दंडित करने का मामला है, बल्कि दहेज जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ एक सख्त चेतावनी भी है।

गोरखपुर पुलिस और न्यायपालिका की इस संयुक्त कार्रवाई ने साबित कर दिया कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, कानून के लंबे हाथ उसे सजा के कटघरे तक जरूर पहुंचाते हैं। गोरखपुर पुलिस और कोर्ट के इस प्रयास को सलाम, जिन्होंने एक बार फिर इंसाफ की मशाल जलाए रखी।

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