

सोनभद्र में बीसीएस इंटरप्राइजेज खदान की ब्लास्टिंग से ग्रामीण घरों में दरारें और फसल नुकसान का सामना कर रहे हैं। पानी की निकासी के कारण खेत जलमग्न हैं, जिससे खेती चौपट हो रही है। ग्रामीण प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
बच्चों की सुरक्षा को गंभीर खतरा
Sonbhadra: जिले के ओबरा तहसील के बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में स्थित बीसीएस इंटरप्राइजेज खदान में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। स्थानीय ग्रामीण खदान में हो रही हैवी ब्लास्टिंग और खदान के आसपास जलभराव के कारण लगातार गंभीर परेशानियों का सामना कर रहे हैं। खदान के पास रहने वाले कोठा टोला के ग्रामीण बताते हैं कि ब्लास्टिंग के दौरान पत्थर उनके घरों तक आते हैं, जिससे बच्चों और पालतू पशुओं को चोट लगने का खतरा बना रहता है। पिछले कुछ वर्षों में कई बार घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और कुछ लोग घायल भी हुए हैं।
खदान की गहराई लगभग 200 फीट से अधिक है और यह पूरी तरह पानी से भरी हुई है। खदान से निकले पानी को बड़ी-बड़ी नावों पर मोटर लगाकर आसपास के खेतों में डाला जा रहा है, जिससे पिछले पांच सालों से ग्रामीणों की फसलें चौपट हो रही हैं। करीब डेढ़ बीघे की खेती प्रभावित हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पानी की निकासी की यह प्रक्रिया मानकों के विपरीत हो रही है। खेतों में जमा पानी के कारण खेती बर्बाद हो रही है और साथ ही बच्चों की सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि बच्चे खदान के निकट पानी में नहाते हैं, जहां खदान गहरी और बिना किसी सुरक्षा उपाय के खुली हुई है।
स्थानीय निवासी बाबा लाल ने बताया कि खदान में हो रही ब्लास्टिंग के कारण उनके कच्चे मकानों में दरारें पड़ गई हैं और छत के लिए रखी गई सीटें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं। उन्होंने कहा "एक-दो बार तो दीवारें भी गिर चुकी हैं,"। वहीं, वीरेंद्र सिंह ने बताया कि ब्लास्टिंग की आवाज और कंपन इतना तेज होता है कि पूरी बस्ती के घर हिल जाते हैं, जिससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
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ग्रामीणों का आरोप है कि खदान संचालक मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं। खदान में उचित सुरक्षा उपाय नहीं किए गए हैं। बार-बार शिकायत करने पर अधिकारियों की ओर से केवल आश्वासन मिलता है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। ग्रामीणों ने डाला चौकी में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे उच्च अधिकारियों और सूबे के मुखिया तक अपनी आवाज पहुंचाएंगे।
खदान में भारी अनियमितताएं
ग्रामीणों का कहना है कि खदान में जमा पानी को बड़ी नावों पर मोटर लगाकर खेतों में निकाला जा रहा है, जिससे उनकी खेती बर्बाद हो रही है। पानी के लगातार आने से फसलें चौपट हो रही हैं। खासकर डेढ़ बीघे की खेती को नुकसान हुआ है। इस पानी में बच्चे भी नहाते हैं, जहां खदान की गहराई के कारण गिरने का खतरा बना रहता है। खदान के चारों ओर न तो कोई फेंसिंग है और न ही सुरक्षा के अन्य उपाय किए गए हैं।
बीते शनिवार को भी खदान में ब्लास्टिंग की गई, जिसके दौरान ग्रामीण बच्चों को लेकर छिपने की जगह तलाश करते नजर आए। इस दौरान खदान के आसपास का माहौल पूरी तरह तनावपूर्ण हो गया।
रीता नामक एक स्थानीय निवासी ने बताया कि खदान से संबंधित कोई भी अधिकारी क्षतिपूर्ति देने नहीं आता। कई परिवारों को केवल चुप रहने के लिए एक हजार रुपये दिए जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय लोगों को काम पर नहीं रखा जा रहा जबकि बाहरी लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। रीता ने कहा, "खदान से निकलने वाले पानी से हमें कोई फायदा नहीं होता, बल्कि यह हमारे लिए खतरा बन गया है। इसे गांव में आने से रोकना चाहिए।" समुंदरी देवी ने भी इस बात की पुष्टि की और ग्रामीणों की मदद न किए जाने पर नाराजगी जताई।
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कृष्ण मुरारी नामक निवासी ने कहा कि खदान के पास रहने से लगातार कंप्रेसर की आवाज और वाहनों की आवाजाही से उनकी नींद खराब हो जाती है। ब्लास्टिंग के बाद पत्थर उनके घरों तक आ जाते हैं और जब वे नुकसान की भरपाई मांगते हैं तो टालमटोल किया जाता है। उन्होंने बताया कि ब्लास्टिंग से पहले कोई सूचना नहीं दी जाती, केवल सीटी की आवाज से लोग सतर्क होते हैं। बच्चे अक्सर घरों के बाहर खेलते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं हैं। स्थानीय लोगों ने खदान मालिक सफीक अहमद से कई बार शिकायत की, लेकिन उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।