रायबरेली में कोटेदारों ने सौंपा मुख्यमंत्री को ज्ञापन, बोले– “जांच नहीं, न्याय चाहिए”

जिले के विकास भवन में मंगलवार को उत्तर प्रदेश के राशन विक्रेताओं (कोटेदारों) ने अपनी ज्वलंत समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से कोटेदारों ने सरकार से शोषण और भेदभावपूर्ण व्यवहार के खिलाफ तुरंत हस्तक्षेप की मांग की।

Raebareli (Uttar Pradesh): जिले के विकास भवन में मंगलवार को उत्तर प्रदेश के राशन विक्रेताओं (कोटेदारों) ने अपनी ज्वलंत समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से कोटेदारों ने सरकार से शोषण और भेदभावपूर्ण व्यवहार के खिलाफ तुरंत हस्तक्षेप की मांग की।

डायनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कोटेदारों ने प्रमुख रूप से फोन पर ली जाने वाली फीडबैक प्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि फीडबैक कॉल अक्सर उन लोगों के पास जाती है जो राशन लेने ही नहीं गए होते या जिन्हें पूरी जानकारी नहीं होती। ऐसे में जब वे जवाब नहीं दे पाते, तो गलत रिपोर्टिंग के आधार पर अनावश्यक जांच शुरू कर दी जाती है, जिससे ईमानदार कोटेदारों को परेशान होना पड़ता है।

एक विभाग से हो जांच, बार-बार नहीं

ज्ञापन में मांग की गई है कि यदि जांच आवश्यक भी हो, तो उसे केवल एक विभाग से ही कराया जाए। कई विभागों द्वारा बार-बार जांच कराए जाने से कोटेदारों का शोषण और मानसिक उत्पीड़न होता है।

अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी मिले वाजिब लाभ

कोटेदारों ने बताया कि उत्तर प्रदेश में खाद्यान्न पर मात्र 90 रुपये प्रति क्विंटल और चीनी पर 70 रुपये प्रति क्विंटल का ही लाभांश दिया जा रहा है। जबकि हरियाणा, गोवा और दिल्ली जैसे राज्यों में यह 200 रुपये प्रति क्विंटल है। गुजरात में तो कोटेदारों को 20000 रुपये की न्यूनतम गारंटी तक दी जा रही है।

डोर स्टेप डिलीवरी और डिजिटल ट्रांजेक्शन की मांग

ज्ञापन में डोर स्टेप डिलीवरी को पूरी तरह लागू किए जाने की मांग की गई है ताकि गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न सीधे कोटे की दुकानों तक पहुंचे। साथ ही, पूर्व के सभी बकाया भुगतान को शीघ्र करने की अपील की गई है।

पेपरलेस प्रक्रिया और वितरण प्रमाण-पत्र बंद करने की मांग

कोटेदारों ने इस बात पर भी जोर दिया कि जब ऑनलाइन वितरण प्रणाली अपनाई जा रही है, तो फिर वितरण प्रमाण-पत्र, सत्यापन अधिकारी, स्टॉक रजिस्टर जैसी प्रक्रियाएं बंद की जाएं और वितरण को पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस बनाया जाए।

स्वयं सहायता समूहों को सीधे मिले भुगतान

ज्ञापन में कहा गया कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित राशन दुकानों की सभी जिम्मेदारियां संचालक निभाते हैं, फिर भी उन्हें भुगतान नहीं मिलता। कोटेदारों ने मांग की कि कमीशन की राशि सीधे संचालकों के खाते में ट्रांसफर की जाए।

MDM और ICDS पर भी मिले कमीशन

इसके अलावा, कोटेदारों ने आग्रह किया कि मिड डे मील (MDM) और आंगनबाड़ी (ICDS) योजनाओं के अंतर्गत वितरित खाद्यान्न पर भी एनएफएसए की तर्ज पर कमीशन दिया जाए। रायबरेली के कोटेदारों ने एक सुर में अपनी समस्याओं को उठाते हुए पारदर्शी व्यवस्था और न्यायसंगत मुआवजे की मांग की। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री तक पहुंचा यह ज्ञापन कोटेदारों की दशा और दिशा को कितना बदल पाता है। सरकार की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया आई तो यह राज्य भर के राशन डीलरों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती है।

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