

एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन भारत के नए उपराष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। आरएसएस से जुड़ाव, साफ-सुथरी छवि और दक्षिण भारत की सशक्त उपस्थिति उन्हें खास बनाती है। उनका चयन भाजपा की रणनीतिक दिशा का संकेत देता है।
CP राधाकृष्णन बने देश के नए उप-राष्ट्रपति
New Delhi: भारत को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है और अब वे राज्यसभा के नए सभापति के तौर पर देश की संविधानिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। एक सादगीपूर्ण छवि, आरएसएस से गहरा जुड़ाव, संसदीय अनुभव और दक्षिण भारत में मजबूत पकड़ रखने वाले राधाकृष्णन का चुनाव कई मायनों में राजनीतिक और रणनीतिक दोनों ही दृष्टिकोण से अहम है।
सीपी राधाकृष्णन उन चुनिंदा नेताओं में हैं जो राजनीति में अनुशासन, गरिमा और स्पष्ट सोच के लिए जाने जाते हैं। दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार की योजनाओं के तहत उनके नाम को आगे लाया गया और एनडीए का यह दांव सही साबित हुआ। आइए जानते हैं उनके जीवन, अनुभव और उपराष्ट्रपति बनने के पीछे के राजनीतिक संकेतों के बारे में।
सीपी राधाकृष्णन का सार्वजनिक जीवन 16 साल की उम्र में शुरू हुआ जब उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ाव बनाया। आरएसएस की शाखाओं से निकलकर उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और धीरे-धीरे भाजपा में एक संगठनात्मक नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनकी वैचारिक स्पष्टता और संगठन के प्रति निष्ठा उन्हें पार्टी के लिए भरोसेमंद चेहरा बनाती है।
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— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) September 9, 2025
राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ था। वे दो बार कोयंबटूर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं और साथ ही तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्हें अक्सर "तमिलनाडु का मोदी" भी कहा जाता है, जो इस बात का संकेत है कि वे राज्य में कितने प्रभावशाली नेता हैं। उनका उपराष्ट्रपति बनना भाजपा की उस रणनीति को बल देता है जिसके तहत पार्टी दक्षिण भारत में अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है।
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव बेहद समृद्ध है। वे झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पुडुचेरी जैसे राज्यों में राज्यपाल की भूमिका निभा चुके हैं। खासतौर पर झारखंड में उन्होंने महज चार महीने के कार्यकाल में सभी 24 जिलों का दौरा कर यह साबित किया कि वे केवल पद पर बैठे रहने वाले नेता नहीं, बल्कि जनसंपर्क और सक्रिय प्रशासन में विश्वास रखने वाले व्यक्ति हैं। साल 2023 में वे झारखंड के 10वें राज्यपाल बने और 2024 में उन्हें महाराष्ट्र का 24वां राज्यपाल नियुक्त किया गया। अभी तक वे महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं।
राधाकृष्णन ने अपने संसदीय जीवन में कई महत्वपूर्ण समितियों में काम किया है। इसके अलावा उन्होंने 93 दिन की रथ यात्रा के माध्यम से समाज में व्याप्त विभिन्न मुद्दों पर जागरूकता फैलाई। उनके पास संसदीय कार्यप्रणाली की गहरी समझ है और यही उन्हें राज्यसभा का सभापति यानी उपराष्ट्रपति पद के लिए एक उपयुक्त चयन बनाता है।
राजनीति के शोर-शराबे और आरोप-प्रत्यारोप के इस युग में सीपी राधाकृष्णन उन नेताओं में से हैं जो विवादों से दूर रहते हैं। उनकी छवि एक सर्वमान्य नेता की है, जिसे न केवल एनडीए बल्कि विपक्ष के भी कुछ वर्गों में सम्मान मिला है। एनडीए ने उनके नाम पर विपक्ष से भी संवाद किया था ताकि सर्वसम्मति से उनका चुनाव हो सके।