

उत्तर प्रदेश के बलिया में वट सावित्री व्रत धूमधाम से मनाया जा रहा है। ऐसे में महिला आज वट वृक्ष की पूजा कर रही है। पूरी खबर के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
बलिया में वट सावित्री व्रत
बलियाः आज वट सावित्री व्रत है, जिसे महिला अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में विभिन्न स्थानों पर सोमवार को सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा की। नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में कई घरों, मंदिरों में सुबह से ही पूजा का सिलसिला शुरू हो गया।
वट वृक्ष के पेड़ में दिखी भीड़
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक इस दौरान सबसे अधिक भीड़ वट वृक्ष यानि बरगद के पेड़ के पास दिखी। जहां सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष में धागे लपेट पूजन- अर्चन किया। नगर से लेकर ग्रामीणांचलों के मंदिरों और अन्य स्थानों पर स्थित वट वृक्ष की पूजा सुहागिन महिलाओं ने धागे लपेट कर विधि विधान से किया। इस अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा।
नव विवाहित में दिखा उत्साह
बता दें कि महिला शाम को व्रत के समापन के बाद ही अन्न ग्रहण करेगी। नगर से सटे भगवानपुर स्थित लक्षीराम ब्रह्म बाबा स्थान स्थित वट वृद्घ, मिड्ढा गांव के पूरब मुहल्ला स्थित माँ काली मंदिर वट और वन स्थित वट वृक्ष में ज्यादा भीड़ देखने को मिली है, जहां महिलाओं ने पूजा- अर्चना की। इस साल वट-सावित्री व्रत के दिन नव विवाहिताओं में भी उत्साह देखने को मिला। महिलाएं सज धजकर वट वृक्ष की पूजन-अर्चन के लिए पहुंची और पति की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना की।
सावित्री व्रत की पौराणिक मान्यता
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पौराणिक मान्यता है कि पतिव्रता मां सावित्री अपने सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए यमराज से छुड़ाकर वापस ले आई थी। इसदिन विशेष रूप से बरगद के वृक्ष की पूजा की जाती है। मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा करने से पति की लंबी आयु, सुख-समृद्घि और अखंड सौभाग्य का फल प्राप्त होता है।
क्या है वट सावित्री व्रत का महत्व ?
जैसा कि आप जानते हैं कि यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है और हिंदू शास्त्रों में वट सावित्री व्रत की कथा और महत्व बेहद खास है। बता दें कि यह व्रत नारी शक्ति, पति के प्रति समर्पण और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। आज पूरे भारत में इस धूमधाम से मनाया जाता है।