Hardoi News: शौचालय आवंटन में बड़ा घोटाला, डीएम अनुनय झा ने दिए जांच के सख्त आदेश

यूपी के हरदोई जनपद में शौचालय आवंटन को लेकर ग्राम पंचायतों की गड़बड़ी उजागर हुई है। पढे़ं डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी खबर

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 13 June 2025, 12:39 PM IST
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हरदोई: उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद में स्वच्छ भारत मिशन के तहत चल रहे शौचालय निर्माण कार्य में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। ग्राम पंचायतों द्वारा शौचालय आवंटन प्रक्रिया में भारी अनियमितता पाई गई है, जिसके चलते जिलाधिकारी अनुनय झा ने कड़ी कार्रवाई करते हुए तत्काल जांच के आदेश जारी किए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में हर घर शौचालय निर्माण का लक्ष्य रखा गया था। इसके लिए 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार हरदोई जनपद में 6,28,717 परिवार चिन्हित किए गए थे। अनुमानित 20 प्रतिशत वृद्धि के बाद वर्तमान में जिले में लगभग 7,54,460 परिवार होने का अनुमान है। लेकिन हाल ही में कराई गई पंचायत-स्तरीय जांच में कई ग्राम पंचायतों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां वास्तविक परिवारों की संख्या से अधिक शौचालय स्वीकृत करवा लिए गए। इससे साफ जाहिर होता है कि आवंटन प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार हुआ है।

ग्राम पंचायतों ने परिवारों से ज्यादा कराए शौचालय स्वीकृत

कुछ पंचायतों में तो इतनी गड़बड़ी हुई कि जहां 300 परिवार थे, वहां 400 शौचालय स्वीकृत करा लिए गए। वहीं दूसरी ओर कई पंचायतें ऐसी भी हैं, जहां आज भी आधे से अधिक परिवारों को शौचालय की सुविधा नहीं मिल सकी है। यह स्थिति तब और अधिक चिंताजनक हो जाती है जब यह पता चलता है कि जिन पंचायतों को अधिक शौचालय मिले, वे ग्राम प्रधानों के चहेतों से जुड़ी थीं, और यह सारा खेल वोट बैंक को ध्यान में रखकर किया गया।

Big scam in toilet allocation in Hardoi

शौचालय आवंटन घोटाला

डीएम अनुनय झा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रभाव से उन पंचायतों का आवंटन रोक दिया है, जिन्होंने परिवारों से अधिक शौचालय स्वीकृत करवा लिए थे। इससे जिले की लगभग 200 ग्राम पंचायतें प्रभावित हो सकती हैं। जिलाधिकारी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब जिले की हर ग्राम पंचायत में शौचालयों का भौतिक सत्यापन कराया जाएगा। निर्माण के लिए धनराशि भी केवल उन्हीं पंचायतों को दी जाएगी जहां परिवारों की संख्या के अनुपात में शौचालयों की कमी है।

डीएम ने 200 ग्राम पंचायतों का आवंटन रोका

इस पूरे मामले ने शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सिर्फ ग्राम प्रधान ही दोषी हैं? क्या ब्लॉक स्तर पर बैठे अधिकारी कभी इन आवंटनों की वास्तविकता जानने के लिए गांवों का दौरा नहीं करते? यदि समय रहते अधिकारियों ने जिम्मेदारी निभाई होती तो यह घोटाला सामने ही न आता।

फिलहाल जांच शुरू हो चुकी है और डीएम ने साफ कर दिया है कि जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इस मामले ने न सिर्फ सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि गांव के विकास के नाम पर किस तरह से भ्रष्टाचार पनप रहा है।

यह देखना अब दिलचस्प होगा कि इस जांच के बाद कितने ग्राम प्रधान और अधिकारी कार्रवाई की जद में आते हैं और कितनी पारदर्शिता से शौचालय निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है।

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