

सुल्तानपुर में किसान नेता गुड्डू सिंह ने वन विभाग पर वृक्षारोपण घोटाले का आरोप लगाया। बोले, करोड़ों खर्च होते हैं लेकिन जमीन पर पेड़ दिखाई नहीं देते।
सुल्तानपुर में नकली वृक्षारोपण (सोर्स- इंटरनेट)
Sultanpur: सुल्तानपुर जिले में हरियाली की जगह अब आरोपों की आंधी चल रही है। किसान नेता गुड्डू सिंह ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वृक्षारोपण के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, मगर जमीन पर एक लाख पेड़ भी नहीं तैयार हो पाते।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने चेतावनी दी कि इस घोटाले की शिकायत जल्द मुख्यमंत्री से की जाएगी और पूरी जांच की मांग की जाएगी।
हर साल एक ही खतौनी पर दिखाया जाता है वृक्षारोपण
गुड्डू सिंह ने अपनी मन की बात सामने रखते हुए कहा कि बार-बार एक ही खाता और खतौनी संख्या पर पेड़ लगाकर कागजों में रिकॉर्ड भर लिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर जांच हो, तो वन विभाग के अधिकारियों का भ्रष्टाचार सबके सामने आ जाएगा।
ग्राम प्रधान बोलेः हमें भी बनाया जाता है गवाह
ग्राम प्रधानों ने भी वन विभाग की पोल खोलते हुए बताया कि उन्हें जबरन 2000 पौधों की रिसीविंग पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं, लेकिन वास्तव में सिर्फ 400 से 700 छोटे-छोटे पौधे ही दिए जाते हैं वो भी फलदार नहीं।
प्रधानों का बड़ा आरोप
प्रधानों का आरोप है कि साल 2017 से अब तक जितना वृक्षारोपण दिखाया गया, अगर सच में हुआ होता तो सुल्तानपुर आज पेड़ों से ढका होता। ग्राम प्रधान ने अपने नाम को गोपनीय रखने के लिए कहा उनका कहना है कि वन विभाग की नर्सरी पर हम लोगों को स्वयं वहन लेकर जाना पड़ता है जिसका 2000 से 3000 भाड़ा लगता है। वह पैसा हम लोगों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है मगर वन विभाग के अधिकारी इसका भी भुगतान ले लेते हैं।
पेड़ नहीं, घोटाले उग रहे हैं: ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि ज़मीन पर सिर्फ घास और सरपट दिखता है, असली हरियाली सिर्फ सरकारी फाइलों में है। वन विभाग के अधिकारी ने सरकारी पैसा खूब खाया है और काम कुछ नहीं किया है।
विभाग का बचाव , बजट में देरी का हवाला
इन सभी आरोप को लेकर वन विभाग के अधिकारियों ने सफाई दी कि बजट अक्सर साल के अंत में मिलता है, जिससे समय पर नर्सरी में पौधे तैयार कर पाना संभव नहीं होता।
सपा प्रवक्ता अनुप संडा ने रखी मांग
पूर्व विधायक और सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुप संडा ने कहा, सरकार केवल पौधे लगवाने पर पैसा खर्च न करे, बल्कि उनकी देखभाल पर भी ध्यान दे। हर गांव में पौधों की देखरेख के लिए स्थायी कर्मचारी तैनात किए जाएँ और फलदार पौधे ही बाँटे जाएं।
जांच की उठी ज़ोरदार मांग
जनता और जनप्रतिनिधि अब खुलकर कह रहे हैं कि वृक्षारोपण के नाम पर बड़ा घोटाला हो रहा है। माँग है कि इसकी उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।