ग्रेटर नोएडा की इस यूनिवर्सिटी ने तोड़ा तुर्की से शिक्षा का रिश्ता, कहा- “देश से गद्दारी हम माफ नहीं करेंगे”

आतंकवादियों को शरण देने वाले पाकिस्तान का समर्थन करने पर देश में तुर्की के खिलाफ विरोध की लहर तेजी से फैल रही है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 18 May 2025, 5:44 PM IST
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ग्रेटर नोएडा: 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत आतंक के खिलाफ भारत सरकार द्वारा की गई निर्णायक कार्रवाई के बाद एक बार फिर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर कटघरे में खड़ा कर दिया गया है। लेकिन इसी बीच पाकिस्तान को खुलेआम समर्थन देने वाला देश तुर्की अब भारत में आलोचना का केंद्र बन गया है। आतंकवादियों को शरण देने वाले पाकिस्तान का समर्थन करने पर देश में तुर्की के खिलाफ विरोध की लहर तेजी से फैल रही है। सोशल मीडिया पर चल रही #BoycottTurkey मुहिम अब डिजिटल दुनिया से निकलकर ज़मीनी स्तर पर असर दिखाने लगी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, इस कड़ी में ग्रेटर नोएडा स्थित प्रतिष्ठित शारदा यूनिवर्सिटी ने बड़ा कदम उठाते हुए तुर्की के साथ वर्षों पुराने शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंधों को समाप्त कर दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय देशहित को सर्वोपरि रखते हुए लिया गया है। शारदा यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क निदेशक अजीत कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यूनिवर्सिटी की प्राथमिकता हमेशा देश की सुरक्षा और सम्मान रही है।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की निर्मम हत्या की गई, वह अत्यंत दुखद है। जिस समय भारत आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम उठा रहा है। उस समय तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों का पाकिस्तान को समर्थन देना अस्वीकार्य है। इसी कारण हमने तुर्की की दो यूनिवर्सिटी के साथ अपने सभी करार रद्द कर दिए हैं।

आठ साल पुराना समझौता किया खत्म

शारदा यूनिवर्सिटी ने तुर्की की दो प्रमुख यूनिवर्सिटी के साथ पिछले 6 से 8 सालों से चला आ रहा रिसर्च और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का करार रद्द कर दिया है। इसके तहत अब यूनिवर्सिटी में तुर्की के छात्रों को नया प्रवेश नहीं दिया जाएगा। फिलहाल यूनिवर्सिटी में लगभग 15 तुर्की छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। जिनके लिए भविष्य की नीतियों पर अलग से निर्णय लिया जाएगा।

JNU और LPU के बाद शारदा यूनिवर्सिटी की पहल

इससे पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) भी तुर्की के साथ अपने सहयोग समझौतों को रद्द कर चुके हैं। अब शारदा यूनिवर्सिटी के इस कदम से संकेत मिलता है कि भारत के शैक्षणिक संस्थान भी अब वैश्विक राजनीति और राष्ट्रीय हितों के मद्देनज़र सक्रिय भूमिका निभाने लगे हैं।

क्या है 'ऑपरेशन सिंदूर'?

'ऑपरेशन सिंदूर' भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा किया गया एक समन्वित ऑपरेशन था। जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों का सफाया करना था। इस ऑपरेशन की सफलता के बाद पाकिस्तान की भूमिका को लेकर फिर से गंभीर सवाल उठे हैं।

विरोध का बढ़ता दायरा

अब यह विरोध केवल राजनीतिक या कूटनीतिक स्तर तक सीमित नहीं रहा। इसका असर व्यापार, पर्यटन, शिक्षा और सांस्कृतिक संबंधों पर भी दिखने लगा है। किसान संगठनों, ट्रैवल कंपनियों और अब विश्वविद्यालयों द्वारा तुर्की का बहिष्कार यह दिखाता है कि भारत में अब राष्ट्रहित के खिलाफ किसी भी कदम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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