गोरखपुर: ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से संपन्न हुआ जीवित्पुत्रिका व्रत, महिलाओं ने मांगी संतान की लंबी उम्र

खजनी तहसील क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में जीवित्पुत्रिका व्रत, जिसे जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है, बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। यह पर्व संतान की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना के लिए माताओं द्वारा किया जाने वाला एक कठिन निर्जला उपवास है। पढिए पूरी खबर

गोरखपुर:  खजनी तहसील क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में जीवित्पुत्रिका व्रत, जिसे जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है, बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। यह पर्व संतान की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना के लिए माताओं द्वारा किया जाने वाला एक कठिन निर्जला उपवास है। इस अवसर पर महिलाओं ने भगवान जिमूतवाहन की पूजा-अर्चना की, कथा सुनी और अगले दिन व्रत का पारण किया। बरीवंदुवारी, डोडो, सतुआभार, खजनी, रूद्रपुर, भरोहिया, झुगिया, करौली, केवटली, बसडीला, रायपुर, सरया तिवारी, कोठा, भरवलिया, टेकवार और नगर पंचायत उनवल जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में यह पर्व धूमधाम से मनाया गया।

 बच्चों के प्रति अटूट विश्वास

जितिया व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह व्रत माताओं द्वारा अपने बच्चों की भलाई, दीर्घायु और समृद्ध जीवन की कामना के लिए किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस व्रत की जड़ें भगवान जिमूतवाहन की कहानी से जुड़ी हैं, जिन्होंने गरुड़ द्वारा एक नाग कुमार को निगलने के प्रयास के दौरान उसकी रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। इस बलिदान और रक्षा भावना की स्मृति में यह व्रत मनाया जाता है। यह पर्व मातृ प्रेम और त्याग का प्रतीक है, जो माताओं के अपने बच्चों के प्रति अटूट विश्वास को दर्शाता है।

महिलाएं स्नान-ध्यान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण

व्रत की शुरुआत 'नहाय-खाय' के साथ होती है, जिसमें व्रती महिलाएं स्नान-ध्यान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करती हैं। अष्टमी तिथि को सूर्योदय से पहले सात्विक भोजन करने के बाद महिलाएं निर्जला उपवास का संकल्प लेती हैं, यानी पूरे दिन बिना पानी और भोजन के रहती हैं। प्रदोषकाल में भगवान जिमूतवाहन की पूजा की जाती है और कथा का श्रवण किया जाता है। इस दौरान माताएं अपने बच्चों की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं। नवमी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जाता है, जिसके साथ यह कठिन व्रत संपन्न होता है।

पूजा स्थलों पर एकत्रित होकर महिलाओं ने कथा सुनी...

खजनी क्षेत्र की महिलाओं ने इस पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाया। गाँवों में सामूहिक रूप से पूजा स्थलों पर एकत्रित होकर महिलाओं ने कथा सुनी और एक-दूसरे के साथ इस पवित्र अवसर की खुशियाँ बाँटीं। स्थानीय निवासी चंद्रावती त्रिपाठी ने बताया कि यह व्रत माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और लंबी उम्र की कामना का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है। गाँवों में महिलाओं ने एक साथ मिलकर पूजा-अर्चना की, जिससे सामुदायिक भावना और आपसी प्रेम को बल मिला। जितिया व्रत का यह आयोजन ग्रामीण क्षेत्रों में सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को जीवित है।

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