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पैन कार्ड का उपयोग आरए इंटरप्राइजेज नामक एक फर्म के साथ 2,51,56,852 रुपये के लेनदेन में किया गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की यह रिपोर्ट
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मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक अजीब और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिसमें एक पुलिसकर्मी के पैन कार्ड का इस्तेमाल कर 2.51 करोड़ रुपये का भारी-भरकम लेनदेन कर दिया गया।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार, सिपाही को इस धोखाधड़ी की जानकारी तब हुई, जब आयकर विभाग की ओर से उसे नोटिस थमा दिया गया। अब पीड़ित सिपाही ने सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज कराया है और मामले की जांच शुरू हो गई है।
सिपाही को आयकर विभाग का नोटिस बना खुलासे की वजह
मेरठ पुलिस लाइन में तैनात सिपाही प्रदीप कुमार का कहना है कि उन्हें आयकर विभाग की तरफ से एक नोटिस प्राप्त हुआ। जिसमें बताया गया कि उनके पैन कार्ड का उपयोग आरए इंटरप्राइजेज नामक एक फर्म के साथ 2,51,56,852 रुपये के लेनदेन में किया गया है। यह जानकारी मिलते ही उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। क्योंकि उन्होंने न कभी ऐसी कोई फर्म बनाई और न ही इतने बड़े पैमाने पर कोई लेनदेन किया।
सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज
प्रदीप कुमार ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले इस फर्जीवाड़े की शिकायत साइबर सेल में की थी। वहां प्राथमिक जांच के बाद रिपोर्ट सिविल लाइन थाने भेजी गई, लेकिन लंबे समय तक कोई ठोस कार्रवाई न होने पर उन्होंने सीधे थाने में जाकर तहरीर दी। अब थाने में धोखाधड़ी और आईटी एक्ट की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
फर्म और खातों की जानकारी खंगाली जा रही
सीओ सिविल लाइन अभिषेक तिवारी ने बताया कि पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। सिपाही के पैन कार्ड से जुड़े बैंक खातों और आय-व्यय की पूरी जानकारी मांगी गई है। इसके साथ ही आरए इंटरप्राइजेज नामक फर्म की वैधता, मालिक का नाम, रजिस्ट्रेशन डिटेल्स और संबंधित बैंक लेनदेन की जांच भी शुरू कर दी गई है।
फर्जी दस्तावेजों से फर्म चला रहे जालसाज?
प्रथम दृष्टया यह मामला पहचान चुराकर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से कंपनी या फर्म संचालित करने का लगता है। देशभर में पैन कार्ड के जरिए फर्जी कंपनियां खोलकर बड़े स्तर पर लेनदेन करने की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं। यह मामला भी उसी तरह की धोखाधड़ी की ओर इशारा करता है, जिसमें सिपाही के पैन कार्ड का उपयोग कर शायद उसके नाम पर फर्म रजिस्टर्ड कर दी गई और टैक्स चोरी या काले धन को सफेद करने का प्रयास किया गया।
कैसे हुआ पैन कार्ड का दुरुपयोग?
यह सवाल अब जांच का विषय है कि प्रदीप कुमार के पैन कार्ड की जानकारी जालसाजों के हाथ कैसे लगी। क्या यह डेटा लीक का मामला है, या फिर किसी पहचान पत्र की फोटो कॉपी का गलत इस्तेमाल हुआ? पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है। साथ ही फर्म के दस्तावेजों में दर्ज पता, संपर्क नंबर और बैंक खाता भी खंगाला जा रहा है।
क्या कहते हैं साइबर विशेषज्ञ?
साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह एक क्लासिक केस है आइडेंटिटी थेफ्ट का, जिसमें किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी जैसे पैन कार्ड और आधार नंबर आदि का दुरुपयोग कर फर्जीवाड़ा किया जाता है। ऐसे मामलों में न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि पीड़ित को कानूनी प्रक्रियाओं से भी गुजरना पड़ता है।
आरोपी जल्द होंगे गिरफ्तार
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच में मामला गंभीर प्रतीत हो रहा है और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर जल्द ही दोषियों की पहचान कर गिरफ्तारी की जाएगी। साथ ही आयकर विभाग को भी मामले की जानकारी दे दी गई है। जिसमें सिपाही के नाम से की गई लेनदेन प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोका जा सके।