हरदोई में खाद को लेकर किसान परेशान, अधिकारियों की आंखों पर पट्टी

हरदोई जिले में खाद संकट को लेकर किसानों की समस्याएं बरकरार हैं, लेकिन सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव ने निरीक्षण के बाद इसे नकारते हुए कहा कि खाद पर्याप्त है। किसानों और विपक्ष ने इस बयान को हकीकत से परे बताया और पारदर्शी वितरण की मांग की है।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 27 August 2025, 4:19 AM IST
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Hardoi: जिले में खाद की किल्लत से परेशान किसानों की आवाज एक बार फिर सरकारी निरीक्षण के शोर में दब गई। मंगलवार को सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव सौरभ बाबू ने जिले का दौरा कर अधिकारियों के साथ बैठक की और खाद गोदामों का निरीक्षण भी किया। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं है और किसानों को समय से खाद मिल रही है। हालांकि, प्रमुख सचिव का यह दावा किसानों और राजनीतिक दलों को रास नहीं आया। उनका कहना है कि जमीनी हकीकत इसके एकदम उलट है।

निरीक्षण में दिखा “सब कुछ ठीक” का सरकारी चश्मा

प्रमुख सचिव सौरभ बाबू ने बताया कि शासन के निर्देश पर वह हरदोई का निरीक्षण करने आए थे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जहां-जहां मांग अधिक है वहां अतिरिक्त इंतजाम किए जाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि, "किसानों को कतई परेशानी नहीं हो रही है। खाद की पर्याप्त आपूर्ति है और वितरण व्यवस्था सुचारु रूप से चल रही है।" इसके बाद उन्होंने कुछ खाद गोदामों और वितरण केंद्रों का निरीक्षण भी किया, जहां सब कुछ व्यवस्थित दिखाया गया।

किसानों का सवाल- तो फिर लाइन में क्यों लगना पड़ रहा?

प्रमुख सचिव की इस रिपोर्ट पर किसानों ने कड़ा ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि प्रशासन के निरीक्षण के दौरान सब कुछ व्यवस्थित दिखाया गया, लेकिन हकीकत में किसान घंटों लाइन में लगते हैं, फिर भी उन्हें खाद नहीं मिल पाती।

हरपालपुर क्षेत्र के किसान रामचंद्र यादव कहते हैं, "अगर सब कुछ बेहतर है, तो हमें धूप में खड़े होकर धक्के क्यों खाने पड़ रहे हैं? यह कैसा इंतजाम है?"

कुछ इलाकों में किसानों ने चक्का जाम तक किया और खाद वितरण केंद्रों पर अराजकता जैसी स्थिति पैदा हो गई, लेकिन ये सारे दृश्य निरीक्षण में कहीं नजर नहीं आए।

राजनीतिक दलों का हमला

विपक्षी दलों ने प्रशासन पर किसानों की समस्याओं को छुपाने का आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता अखिलेश वर्मा ने कहा, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों को दो-दो दिन तक खाद के लिए भटकना पड़ता है और अधिकारी आंख मूंदकर कहते हैं कि सब कुछ सही है।"

राजनीतिक दलों की मांग है कि खाद वितरण की पारदर्शी ऑनलाइन व्यवस्था लागू की जाए, ताकि कृत्रिम संकट और कालाबाजारी पर अंकुश लगाया जा सके।

किसान आंदोलन की चेतावनी

किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें समय से और उचित मात्रा में खाद नहीं मिली तो वे सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे। कुछ किसान संगठनों ने आने वाले दिनों में जिला मुख्यालय पर धरना देने की घोषणा भी की है।

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