

भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जिसने शासन की ट्रांसफर नीति को कटघरे में खड़ा कर दिया है। मामले की पूरी जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
ग्राम पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार ( सोर्स - इंटरनेट )
सुल्तानपुर: जिले में ग्राम पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार का एक और गंभीर मामला सामने आया है, जिसने शासन की ट्रांसफर नीति को कटघरे में खड़ा कर दिया है। आरोप है कि स्थानांतरण के बावजूद कई पंचायत सचिवों ने अपने पूर्व कार्यक्षेत्र में वित्तीय भुगतान जारी कर दिए, जो न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी बड़ा उदाहरण है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता से मिली जानकारी के मुताबिक, शासन के निर्देशानुसार जून माह में ऐसे ग्राम पंचायत सचिवों का स्थानांतरण किया गया था, जो 8 वर्षों से अधिक समय से एक ही विकासखंड में कार्यरत थे। लेकिन ट्रांसफर के बाद भी इन सचिवों ने ADO पंचायत की मिलीभगत से डोंगल (डिजिटल लॉगिन एक्सेस) को डीएक्टिवेट नहीं कराया और अपने पुराने कार्यक्षेत्र की ग्राम पंचायतों में भुगतान करते रहे।
बताया जा रहा है कि सचिवों ने सरकारी धन का अनुचित प्रयोग करते हुए विकास कार्यों से जुड़े भुगतानों को स्वीकृत किया और जारी भी किया, जबकि उन्हें उस क्षेत्र से कार्यमुक्त कर दिया गया था। इस कृत्य ने शासन की स्थानांतरण नीति की पूरी तरह से अवहेलना की है।
जिला पंचायत राज अधिकारी (DPRO) अभिषेक शुक्ला ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने बताया कि संबंधित ग्राम पंचायतों की कैश बुक व अन्य वित्तीय दस्तावेज मंगवाए जा रहे हैं। प्रथम दृष्टया यदि सचिव दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
यह मामला सिर्फ कुछ पंचायतों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें व्यापक स्तर पर मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। डीपीआरओ ने स्पष्ट किया है कि शासनादेश की अनदेखी और वित्तीय अनियमितताओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह मामला सामने आने के बाद जिले में अन्य विकासखंडों में भी सचिवों की भूमिका की जांच की मांग उठने लगी है। अब देखना यह होगा कि जांच के बाद कितने सचिवों पर कार्रवाई होती है और क्या यह मामला सुल्तानपुर में पंचायत व्यवस्था की सफाई की दिशा में एक अहम कदम साबित हो पाएगा। ऐसे ही महत्वपूर्ण खबरों के लिए पढ़ते रहिए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट।