छात्रवृत्ति में महा घोटाला, करोड़ों की गड़बड़ी से मचा हड़कंप, जानें पूरा मामला

जिले से एक बड़े छात्रवृत्ति घोटाले की खबर सामने आई है, जिसने शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया है। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़ें पूरी खबर

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 21 June 2025, 4:03 PM IST
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संतकबीरनगर: उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले से एक बड़ा छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है जिसने शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, जिले की 46 शैक्षणिक संस्थाओं में करोड़ों रुपयों का घोटाला किया गया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, संतकबीरनगर की 46 शैक्षणिक संस्थाओं में  3,25,96,960 रुपये की भारी-भरकम धनराशि की हेराफेरी की गई है। यह मामला वर्ष 2021-22 और 2022-23 की छात्रवृत्ति योजनाओं से जुड़ा है, जो भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित की जाती हैं।

जांच में सामने आया फर्जीवाड़ा

दरअसल, अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना की जांच के दौरान सामने आया कि कई फर्जी छात्रों के नाम पर धनराशि निकाली गई और जिन छात्रों को लाभ मिलना था, वे इससे वंचित रह गए। इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। जांच में यह भी पाया गया कि संबंधित शैक्षणिक संस्थानों ने जाली दस्तावेजों के जरिए करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति अवैध रूप से प्राप्त की।

स्कूल (सोर्स-रिपोर्टर)

इतने लोगों पर दर्ज हुआ मुकदमा

वहीं जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रवीण कुमार मिश्रा की ओर से दी गई तहरीर पर कोतवाली खलीलाबाद में मुकदमा दर्ज किया गया है। इस घोटाले में शामिल 98 लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की शुरुआत हो चुकी है। इनमें वीरेंद्र कुमार, बृजेश चौधरी, संगीत चौधरी, आलोक कुमार यादव, इंद्रदेव यादव, नेहा पटेल, रामशरन, विजयपाल, सरिता यादव, अमित कुमार चौधरी, इंद्रावती, रामआधीष यादव, शुभम करन, मालती, दिलीप कुमार, बाबूलाल यादव, हैयात मौहम्मद, दिनेश राय, काशी प्रसाद पाण्डेय और हरिवंश समेत कई अन्य नाम शामिल हैं। पुलिस ने संबंधित संस्थाओं, उनके प्रबंधकों, कर्मचारियों और बिचौलियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है।

शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप

दूसरी तरफ, मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। कई अधिकारी और कर्मचारी शक के घेरे में आ चुके हैं। सूत्रों की मानें तो शासन के निर्देश पर आगे और भी बड़ी कार्रवाई हो सकती है। जांच एजेंसियां अब दस्तावेजों की छानबीन और संबंधित लोगों से पूछताछ की तैयारी कर रही हैं।

अब आगे क्या?

फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि कानून का शिकंजा इन घोटालेबाजों तक कितनी जल्दी पहुंचता है और कितनों को सलाखों के पीछे भेजा जा सकेगा। शासन की ओर से यह भी निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी संस्थाओं की मान्यता रद्द करने पर भी विचार किया जाए।

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