

सोनभद्र में फर्जी मुठभेड़ में मारे गए व्यक्ति के नाम से कोर्ट में पेश होने का नोटिस भेजा गया। पीड़ित परिवार ने पुलिस पर लापरवाही और उत्पीड़न का आरोप लगाया है। मामले पर हंगामा बढ़ते ही पुलिस ने संबंधित दरोगा पर कार्रवाई की बात कही है।
अनिल कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक ने स्वीकारी गलती
Sonbhadra: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक रिटायर्ड नक्सली बताकर मारे गए व्यक्ति के नाम से कोर्ट में पेश होने का समन जारी कर दिया गया है। 2007 में चंदौली पुलिस द्वारा मुठभेड़ में मारे गए सुनील उर्फ संजय कोल के नाम पर हाल ही में शांति भंग, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी के आरोप में नोटिस जारी हुआ है।
यह समन जुलाई में मृतक की पत्नी सुषमा देवी को मिला, जिससे वह बेहद घबरा गईं। सुषमा देवी ने बताया कि वह उस समय अपनी बेटी के साथ अस्पताल में थीं, जब यह नोटिस उनके हाथ में आया। पीड़िता का कहना है कि उनके पति को जमीनी विवाद में फंसाकर झूठी मुठभेड़ में मार दिया गया था और अब मृत पति के नाम से फिर से परेशान किया जा रहा है।
सुषमा देवी ने बताया कि वह खुद 13 साल तक जेल में बिना किसी अपराध के रहीं और बरी होने के बाद अब शांतिपूर्ण जीवन जीने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन, माइक्रो फाइनेंस कंपनी से लिए गए लोन को लेकर लगातार उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि 25 मई को कंपनी के कर्मचारी नशे की हालत में घर पहुंचे और बदसलूकी की। इसके बाद 22 जून को उनके देवर के साथ मारपीट की गई, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए। सुषमा और उनकी बेटी के कपड़े भी फाड़ दिए गए।
पीड़ित परिवार ने पुलिस पर लापरवाही और उत्पीड़न का आरोप
मृतक के पिता दशरथ ने बताया कि उनका बेटा सुनील 2004 से ही पुलिस के निशाने पर था और 2007 में नक्सली करार देकर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया। अब इतने वर्षों बाद उसी के नाम से कोर्ट का समन आना पूरे परिवार के लिए बेहद आघातपूर्ण है। दशरथ ने आरोप लगाया कि रास्ते के विवाद को लेकर पड़ोसियों ने झूठी शिकायत कर यह स्थिति उत्पन्न करवाई है।
पिपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) के राष्ट्रीय काउंसिल सदस्य वकील विकास शाक्य ने इस मामले को उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की गिरती हालत का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि पुलिस पूंजीपतियों और सामंतियों के इशारे पर काम कर रही है और आम नागरिकों को बेवजह परेशान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने जिला मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट भेजते वक्त मृतक का नाम लिखकर बड़ी लापरवाही की है।
मामले के तूल पकड़ने के बाद अपर पुलिस अधीक्षक ऑपरेशन, सोनभद्र अनिल कुमार ने मीडिया से बातचीत में स्वीकार किया कि नोटिस में त्रुटि हुई है। उन्होंने कहा कि राबर्ट्सगंज पुलिस द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में ‘अनिल’ की जगह ‘सुनील’ का नाम गलती से दर्ज हो गया, जिससे यह भ्रम पैदा हुआ। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संबंधित उप निरीक्षक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है।