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सरकारी अस्पताल में हुई चिकित्सा लापरवाही से मचा हड़कंप। बच्चेदानी के ऑपरेशन के दौरान पेट में रह गई पट्टी से महिला की हालत बिगड़ी। निजी अस्पताल में दोबारा ऑपरेशन कर पट्टी निकाली गई, परिवार ने डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की।
पीड़ित महिला
Barabanki: जिला अस्पताल बाराबंकी में डॉक्टरों की कथित लापरवाही का एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है। यहां बच्चेदानी का ऑपरेशन कराने वाली एक महिला के पेट में डॉक्टरों ने कॉटन पट्टी का गोला छोड़ दिया, जो पांच महीने तक उसके शरीर में बना रहा। इस लापरवाही के चलते महिला की हालत बिगड़ गई और जब दर्द असहनीय हुआ, तब निजी अस्पताल में दोबारा ऑपरेशन कर वह पट्टी निकाली गई। इस घटना ने सरकारी अस्पतालों की कार्यशैली और मरीजों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, बदोसराय कोतवाली क्षेत्र के अमनियापुर गांव निवासी दिलीप वर्मा की पत्नी प्रीति वर्मा का 18 जून 2025 को जिला अस्पताल बाराबंकी में बच्चेदानी का ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन के बाद प्रीति को कुछ दिन तक सामान्य दर्द की शिकायत रही, लेकिन डॉक्टरों ने इसे सामान्य बताया और उन्हें छुट्टी दे दी। प्रारंभिक हफ्तों तक सब कुछ ठीक लग रहा था, मगर धीरे-धीरे उनकी तबीयत बिगड़ने लगी।
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लगभग पांच महीने बाद प्रीति को पेट में तेज दर्द और सूजन की शिकायत होने लगी। जब उन्होंने स्थानीय डॉक्टर को दिखाया तो कोई स्पष्ट कारण समझ नहीं आया। इसके बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां अल्ट्रासाउंड जांच में हैरान कर देने वाली बात सामने आई- उनके पेट में ऑपरेशन के दौरान छूटी हुई कॉटन पट्टी का गोला मौजूद था। डॉक्टरों ने बताया कि यह पट्टी ऑपरेशन के समय पेट के अंदर रह गई थी, जिससे संक्रमण और सूजन बढ़ रही थी।
निजी अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दूरबीन विधि (लेप्रोस्कोपिक सर्जरी) से दोबारा ऑपरेशन कर वह कॉटन पट्टी सफलतापूर्वक निकाल दी। ऑपरेशन के बाद अब प्रीति की हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन परिवार अस्पताल प्रशासन और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर से बेहद नाराज है।
बाराबंकी जिला अस्पताल
पीड़िता के पति दिलीप वर्मा ने बताया कि जब उन्होंने जिला अस्पताल जाकर ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर से बात की, तो डॉक्टर ने अपनी गलती स्वीकार करने के बजाय उन्हें धमकाने की कोशिश की। वर्मा का कहना है कि "डॉक्टर ने कहा कि अगर तुम ज्यादा बोलोगे तो तुम्हारे खिलाफ ही कार्रवाई होगी।" इससे नाराज वर्मा ने अब इस मामले की शिकायत मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) से करने का फैसला लिया है।
वर्मा ने कहा कि "यह केवल मेरी पत्नी के साथ नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विफलता है। अगर कोई गरीब व्यक्ति सरकारी अस्पताल पर भरोसा करके इलाज कराता है और डॉक्टर ऐसी लापरवाही करें, तो जनता कहां जाए?" उन्होंने आरोप लगाया कि ऑपरेशन टीम ने न तो सुरक्षा मानक अपनाए, न ही पोस्ट-ऑपरेशन जांच की जिम्मेदारी निभाई।
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इस मामले पर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. जे.पी. मौर्य ने बताया कि अभी तक उन्हें इस घटना की कोई औपचारिक शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने कहा, "यदि शिकायत मिलती है, तो हम मामले की पूरी जांच कराएंगे। दोषी पाए जाने वाले चिकित्सक के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।"