Bankebihariji: वृंदावन से लेकर पाकिस्तान तक बांकेबिहारी की संपत्ति, महाराज की संपत्तियों का तैयार होगा रिकॉर्ड

श्रीबांकेबिहारी महाराज के मंदिर की संपत्तियों का सर्वे शुरू किया जा रहा है, जिसमें देश और विदेश में फैली उनके अचल संपत्तियों का रिकॉर्ड शामिल होगा। इस सूची में प्राचीन भेंट, भूमि, आभूषण और मंदिरों का विवरण होगा।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 13 September 2025, 10:26 AM IST
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Vrindavan: वृंदावन के प्रसिद्ध श्रीबांकेबिहारी मंदिर की संपत्ति का सर्वे शुरू किया जा रहा है, जो न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी फैली हुई है। यह सर्वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मंदिर प्रबंधन कमेटी के द्वारा किया जाएगा, जिसमें मंदिर की चल और अचल संपत्तियों की विस्तृत सूची तैयार की जाएगी। बताया जा रहा है कि श्रीबांकेबिहारीजी की संपत्ति पाकिस्तान, मुल्तान, सियालकोट, शक्कर सिंध तक फैली हुई है, जो कई ऐतिहासिक और धार्मिक ग्रंथों में दर्ज है।

महाराजाओं के साथ नवाबों ने भी किया था दान

आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी बताते हैं कि श्रीबांकेबिहारी महाराज के प्राकट्यकाल से लेकर अब तक बहुत सी संपत्तियां भेंट और दान में प्राप्त हुई हैं। इन संपत्तियों में न केवल हिंदू राजा-महाराजाओं का योगदान रहा है, बल्कि मुस्लिम नवाबों ने भी श्रीबांकेबिहारी जी के प्रति अपनी श्रद्धा जताते हुए भूमि, आभूषण और अन्य कीमती वस्तुएं दान की हैं। कुछ प्रमाणित घटनाओं के अनुसार, 1592 में जयपुर के सवाई महाराजा मानसिंह ने तीन एकड़ जमीन दान की थी और इसके बाद 1594 में मुग़ल सम्राट अकबर ने 25 बीघा जमीन दी थी। इसी तरह कई अन्य महत्वपूर्ण दान भी होते रहे हैं, जिनमें प्रमुख रियासतों और राज परिवारों का योगदान रहा।

वृंदावन से लेकर पाकिस्तान तक बांकेबिहारी की संपत्ति

संपत्तियों का ऐतिहासिक प्रमाण

इन संपत्तियों के प्रमाण आज भी कई प्राचीन ग्रंथों और अभिलेखों में उपलब्ध हैं। 'श्रीस्वामी हरिदास अभिनंदन ग्रंथ', 'केलिमालजु', 'कृपा कोर', 'कथा हरिदासबिहारी की', 'मथुरा ए डिस्ट्रिक्ट मेमोयर', और 'ब्रजभूमि इन मुगल टाइम्स' जैसे ग्रंथों में इन संपत्तियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसके अलावा ऐतिहासिक घटनाओं और दान के विवरण को कई अभिलेखों में दर्ज किया गया है।

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संपत्तियों का संरक्षण और पुनः मूल्यांकन

वर्तमान में, इन ऐतिहासिक संपत्तियों को लेकर प्रबंधकीय उपेक्षा और सामाजिक उदासीनता देखी जा रही थी। कई बार इन संपत्तियों के संरक्षण के लिए पारदर्शी प्रयासों का अभाव रहा, जिसकी वजह से गोस्वामी समाज की वर्तमान पीढ़ी को इन संपत्तियों के बारे में बहुत कम जानकारी थी। इस सर्वे के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इन संपत्तियों का सही तरीके से मूल्यांकन और संरक्षण किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ी को इनके ऐतिहासिक महत्व का सही अंदाजा हो सके।

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विभिन्न स्थानों पर फैली संपत्तियां

इतिहासकार बताते हैं कि श्रीबांकेबिहारी महाराज की संपत्ति न केवल भारत में बल्कि पाकिस्तान और अन्य देशों में भी फैली हुई है। दिल्ली के फराशखाने में एक मंदिर और भवन स्थित हैं। पाकिस्तान के मुल्तान, शक्कर सिंध और सियालकोट में भी श्रीबांकेबिहारी महाराज से संबंधित ऐतिहासिक मंदिर और हवेलियां हैं। इन सभी स्थानों का प्रमाणित विवरण भी उपलब्ध है और इनकी पूजा-अर्चना आज भी की जाती है।

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