

हनुमानगढ़ी मंदिर के प्रसाद में मिलावट पाए जाने के बाद अयोध्या में हड़कंप मच गया है। फूड सेफ्टी विभाग की जांच में बेसन के लड्डू और देसी घी शुद्ध नहीं पाए गए। श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़े इस मामले में प्रशासन पर सख्त कार्रवाई का दबाव है।
हनुमानगढ़ी मंदिर के प्रसाद में मिलावट
Ayodhya: रामनगरी अयोध्या से एक चौंकाने वाली और चिंताजनक खबर सामने आई है। यहां के प्रसिद्ध और अत्यंत पूजनीय हनुमानगढ़ी मंदिर के प्रसाद में मिलावट की पुष्टि हुई है। फूड सेफ्टी विभाग द्वारा लिए गए तीन नमूनों में से दो फेल हो गए हैं, जिससे श्रद्धालुओं और आमजन में भारी असंतोष और चिंता फैल गई है। यह मामला इसलिए भी अधिक गंभीर बन गया है क्योंकि यह मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है और यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन एवं प्रसाद ग्रहण करने आते हैं।
फूड सेफ्टी विभाग की टीम ने हाल ही में अयोध्या में विभिन्न खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता जांचने के लिए एक अभियान चलाया था। इस दौरान हनुमानगढ़ी मंदिर से लिए गए प्रसाद- बेसन के लड्डू और देसी घी के नमूनों को जांच के लिए भेजा गया।
जांच रिपोर्ट में सामने आया कि इन दोनों पदार्थों में मिलावट है। बेसन के लड्डुओं में प्रयोग किया गया बेसन शुद्ध नहीं था और देसी घी में भी अशुद्ध तत्व पाए गए। तीन नमूनों में से दो के फेल हो जाने से यह स्पष्ट है कि हनुमानगढ़ी जैसे प्रतिष्ठित स्थल पर भी खाद्य सुरक्षा नियमों की अनदेखी हो रही है।
हनुमानगढ़ी मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यहां यह मान्यता है कि भगवान राम के दर्शन से पहले हनुमानजी के दर्शन जरूरी होते हैं। श्रद्धालु पहले हनुमानगढ़ी में दर्शन करके, उनसे अनुमति लेकर ही रामलला के दर्शन के लिए आगे बढ़ते हैं। इतने पूज्य स्थल पर प्रसाद में मिलावट का पाया जाना श्रद्धालुओं की आस्था और स्वास्थ्य दोनों के साथ खिलवाड़ है। यह घटना अब न सिर्फ स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गई है।
मंदिर से जुड़े महंत संजय दास महाराज ने पहले ही प्रसाद विक्रेताओं को चेताया था कि लड्डू केवल उच्च क्वालिटी के बेसन और शुद्ध देसी घी से बनाए जाएं। यहां तक कि मंदिर प्रशासन ने प्रसाद का रेट ₹450 से ₹500 प्रति किलो निर्धारित किया था, जिससे गुणवत्ता से समझौता न किया जाए। इसके बावजूद अगर जांच में मिलावट सामने आती है, तो यह प्रशासनिक लापरवाही और बाजार में बढ़ती लालच की प्रवृत्ति को उजागर करता है।
जांच में बेसन और घी फेल (प्रतीकात्मक फोटो)
इस मामले की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब यह पता चलता है कि अयोध्या धाम की एक अन्य दुकान से लिए गए पनीर का नमूना भी जांच में फेल हो गया है। इससे साफ है कि सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि पूरी अयोध्या में खाद्य सामग्री की गुणवत्ता पर खतरा मंडरा रहा है।
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खाद्य उपायुक्त मानिक चंद्र सिंह ने इस मामले में कहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि आगे आने वाले दिनों में और अधिक दुकानों व मंदिर परिसरों से नमूने लिए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रद्धालुओं को शुद्ध और सुरक्षित प्रसाद मिले।
जब एक ऐसी जगह, जहां देशभर से श्रद्धालु आते हैं, वहां मिलावटी प्रसाद दिया जा रहा है, तो यह साफ तौर पर दर्शाता है कि प्रशासन और मंदिर प्रबंधन के बीच समन्वय की कमी है। क्या श्रद्धालुओं की आस्था और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पर्याप्त उपाय किए जा रहे हैं? क्या केवल चेतावनी और कीमत तय कर देने से खाद्य गुणवत्ता सुनिश्चित हो सकती है? इन सवालों के जवाब अब जनता और मीडिया दोनों प्रशासन से मांग रहे हैं।
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घटना के बाद मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं में आक्रोश देखा गया। कुछ श्रद्धालुओं ने कहा, हम भगवान को अर्पण करने के लिए शुद्ध सामग्री लाते हैं, लेकिन जब मंदिर में ही मिलावट मिले तो यह न सिर्फ अपराध है बल्कि धर्म का अपमान भी है। अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर में प्रसाद में मिलावट का खुलासा एक गंभीर चेतावनी है- न केवल धार्मिक प्रतिष्ठानों के लिए बल्कि प्रशासन और जनता के लिए भी। आस्था के नाम पर लापरवाही या लालच की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में सख्त कदम उठाता है या सिर्फ बयानबाजी तक सीमित रह जाता है। श्रद्धालुओं की निगाहें अब प्रशासनिक कार्रवाई और मंदिर प्रबंधन की जवाबदेही पर टिकी हैं।