

मैनपुरी जिला अस्पताल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। कारण जानने के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की यह रिपोर्ट
मैनपुरी: जिले का महाराजा तेज सिंह जिला अस्पताल इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। अस्पताल में मरीजों का इलाज अंधेरे में किया जा रहा है क्योंकि बिजली की सुविधा ठप पड़ी हुई है। मरीजों के परिजन हाथ से पंखा झलते नजर आते हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, इन सब चीजों के बाद अस्पताल की बदहाली और अव्यवस्थाओं की पोल खुल रही है। इस स्थिति ने आम जनता की चिंता को और बढ़ा दिया है।
कागज पर एक्स-रे: तकनीक या तंगी?
अस्पताल में एक्स-रे रिपोर्ट्स अब पारंपरिक सीट के बजाय कागज के पन्नों पर दी जा रही हैं। इस पर विवाद तब और बढ़ गया जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक पोस्ट कर सरकार पर तंज कसा। उन्होंने लिखा भाजपा के विकास और निवेश की तरह इनकी जांच और इलाज भी कागजी ही है। उनके इस बयान ने सरकार की स्वास्थ्य नीतियों की सच्चाई को उजागर करने का प्रयास किया।
हाथ से झलते नजर आए पंखा
बिजली न होने के कारण तीमारदारों को मरीजों के ऊपर हाथ से पंखा झलते देखा गया। कहीं लकड़ी के फट्टे से हवा की जा रही थी तो कहीं मोबाइल की रोशनी में दवा दी जा रही थी। ऐसे कई वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं। जो मैनपुरी की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
चिकित्सा अधीक्षक का सफाई भरा बयान
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मदन लाल ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा राजकोषीय धन और पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक्स-रे सीट का उपयोग बंद किया गया है। मरीजों को एक्स-रे की कॉपी कागज पर दी जाती है और डिजिटल फॉर्म में डॉक्टरों और मरीजों के मोबाइल पर भी भेज दी जाती है। उनका यह बयान अस्पताल प्रशासन की मंशा को साफ करता है, लेकिन व्यवस्था की वास्तविक स्थिति इससे बेहतर नहीं दिखती।
सरकारी प्रयास और जमीनी हकीकत में अंतर
सरकार जहां स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास करने की बात कह रही है, वहीं मैनपुरी जिला अस्पताल की हालत इसके विपरीत नजर आती है। बिजली की कमी, संसाधनों की तंगी और उच्च अधिकारियों की अनदेखी ने अस्पताल को बदहाली की ओर धकेल दिया है।