UP News: खाद की कालाबाजारी के खिलाफ प्रशासन का दांव फेल, देर रात तक खाद की गुप्त बिक्री; किसानों की दुर्दशा जारी

सोनभद्र में खाद की कालाबाजारी जारी है, जबकि जिला प्रशासन ने रोकने के दावे किए थे। वायरल वीडियो में खाद की बड़ी मात्रा में कालाबाजारी का खुलासा हुआ है। किसान सरकारी कीमत से दोगुनी कीमत पर खाद खरीदने को मजबूर हैं।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 23 August 2025, 12:16 PM IST
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Sonbhadra: जिला प्रशासन द्वारा खाद की कालाबाजारी पर रोक लगाने के दावों के बावजूद जिले में यह अवैध कारोबार चरम पर पहुंच चुका है। खाद की कालाबाजारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें कई स्टोरों में यूरिया, डीएपी और अन्य खाद की बड़ी मात्रा में बोरियां भरकर रखी हुई मिली हैं। यह वीडियो प्रशासन की नाकामी को उजागर करता है और किसानों की परेशानियों को बढ़ा रहा है।

सोनभद्र में खाद की कालाबाजारी का भंडाफोड़

वीडियो में स्पष्ट दिखाया गया है कि खाद को अलग-अलग स्टोरों में छुपाकर किसानों को इसकी आपूर्ति की जा रही है, जिससे वे मजबूर होकर बाजार से कालाबाजारी मूल्य पर खाद खरीदने को मजबूर हैं। जिला प्रशासन ने तो दावा किया था कि खाद की कालाबाजारी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन जिले में लगातार खाद की कालाबाजारी जारी है।

Sonbhadra Fertilizer Scam

वायरल वीडियो में खाद की बड़ी मात्रा में कालाबाजारी का खुलासा

किसानों की शिकायत है कि वे निर्धारित सरकारी कीमत ₹267 प्रति बोरी के बजाय ₹500 प्रति बोरी के हिसाब से खाद खरीदने को मजबूर हैं। इसके अलावा, खाद की उपलब्धता बेहद कम होने की वजह से समितियों के सामने घंटों लाइन लगानी पड़ती है, फिर भी उन्हें एक बोरी खाद भी मुश्किल से मिल पाती है। प्रशासन द्वारा निर्धारित समय के बजाय कालाबाजारी करने वाले स्टोर शाम 6 बजे से लेकर देर रात तक खाद की बिक्री करते हैं, जिससे किसानों को प्रताड़ित होना पड़ता है।

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शाम 6 बजे से देर रात तक खाद की गुप्त बिक्री

इस पूरे मामले ने सोनभद्र के किसानों में गुस्सा और असंतोष पैदा कर दिया है। उन्होंने जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। किसानों का कहना है कि बिना खाद के उनकी फसलों को नुकसान होगा, जिससे उनकी आमदनी पर बड़ा असर पड़ेगा।

जिला प्रशासन ने इस मामले पर फिलहाल कोई ठोस जवाब नहीं दिया है, लेकिन कई किसानों का कहना है कि खाद की कालाबाजारी रोकने के नाम पर केवल दिखावा किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि खाद की काले बाजार में बिक्री रोकने के लिए सख्त निगरानी और कड़े कदम उठाए जाएं।

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विशेषज्ञों का भी मानना है कि यदि खाद की कालाबाजारी पर लगाम नहीं लगी तो इससे जिले की कृषि व्यवस्था प्रभावित होगी और किसान भारी आर्थिक नुकसान उठाएंगे। साथ ही, खाद की कमी के कारण कृषि उत्पादन में कमी आ सकती है, जो खाद्य सुरक्षा के लिए भी खतरा है।

इस वायरल वीडियो के बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है कि वे खाद की कालाबाजारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें और किसानों को उचित कीमत पर खाद उपलब्ध कराएं। फिलहाल किसानों की उम्मीदें प्रशासन की तरफ टिकी हैं कि जल्द ही उनकी समस्या का समाधान निकलेगा।

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