Sonbhadra News: म्योरपुर में यूरिया को लेकर मचा बवाल, महिलाओं में मारपीट, कुछ को मिली खाद तो कुछ निराश लौटे

सोनभद्र के म्योरपुर में यूरिया खाद वितरण के दौरान अव्यवस्था का माहौल रहा। हजारों किसान घंटों लाइन में लगे रहे, लेकिन अधिकांश को खाली हाथ लौटना पड़ा। महिलाओं के बीच मारपीट और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 21 August 2025, 6:04 PM IST
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Sonbhadra: यूरिया खाद की किल्लत से जूझ रहे किसानों का गुस्सा गुरुवार को म्योरपुर विकासखंड स्थित लैम्पस परिसर में खुलकर सामने आया। हजारों महिला-पुरुष किसान सुबह से लाइन में खड़े होकर खाद के इंतजार में परेशान होते रहे, लेकिन देर दोपहर तक भी अधिकांश को खाद नहीं मिल पाई। हद तो तब हो गई जब महिलाओं के बीच लाइन में लगने को लेकर मारपीट तक की नौबत आ गई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

खेत सूखे, खाद नहीं- किसान बेहाल

सुबह से लाइन में लगे शब्बीर हुसैन, संजीवन, महेंद्र, शोभनाथ और अभय जैसे दर्जनों किसानों ने बताया कि वे सुबह 6 बजे से कतार में हैं, लेकिन दोपहर के 3 बजे तक उन्हें एक भी बोरी खाद नहीं मिली। किसानों ने आरोप लगाया कि जहां लैम्पस में यूरिया की एक बोरी 270 रुपये में मिल रही है, वहीं बाजार में निजी दुकानदार तीन गुने दाम वसूल रहे हैं, जिससे उनका आर्थिक शोषण हो रहा है।

महिलाओं के बीच लात-घूंसे तक की नौबत

खाद की मारामारी के बीच दो महिलाओं के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि देखते ही देखते बात लात-घूंसे और गाली-गलौज तक पहुंच गई। मौके पर मौजूद पुलिस बल ने तत्काल हस्तक्षेप कर हालात को संभाला और दोनों पक्षों को शांत कराया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिससे प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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महिलाओं में मारपीट

सीमित यूरिया, बेलगाम भीड़

लैम्पस सचिव नरायण पटेल ने बताया कि म्योरपुर न्याय पंचायत के लिए मात्र 250 बोरी यूरिया खाद उपलब्ध थी, लेकिन किरविल और आरंगपानी न्याय पंचायत के किसान भी पहुंच गए, जिससे व्यवस्था बिगड़ गई। उन्होंने कहा कि आज रात तक या कल सुबह तक नई खेप आने की उम्मीद है, जिसके बाद सभी न्याय पंचायतों में खाद वितरित किया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि उच्चाधिकारियों की निगरानी में वितरण हो रहा है और जल्द हालात सामान्य होंगे।

निराश लौटे किसान

कई किसानों को बिना खाद के निराश होकर घर लौटना पड़ा, क्योंकि इतनी भारी भीड़ और सीमित मात्रा में खाद के चलते सभी को राहत नहीं मिल सकी। इससे किसानों में गहरा असंतोष व्याप्त है और कई लोगों ने प्रशासन से खाद वितरण में पारदर्शिता और पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की है।

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