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सहजनवां क्षेत्र में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के नाम पर काम कर रही एक फाइनेंस कंपनी में बड़ा जालसाजी कांड सामने आया है। कंपनी के ही सेल्स मैनेजर ने समूह से जुड़ी महिलाओं के साथ सुनियोजित तरीके से धोखाधड़ी करते हुए उनके खातों से रकम हड़प ली।
गोरखपुर में महिला समूह से करोड़ों की धोखाधड़ी
Gorakhpur: सहजनवां क्षेत्र में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के नाम पर काम कर रही एक फाइनेंस कंपनी में बड़ा जालसाजी कांड सामने आया है। कंपनी के ही सेल्स मैनेजर ने समूह से जुड़ी महिलाओं के साथ सुनियोजित तरीके से धोखाधड़ी करते हुए उनके खातों से रकम हड़प ली। मामला उजागर होने के बाद कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ जालसाजी का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सहजनवां स्थित फाइनेंस कंपनी के शाखा प्रबंधक शिवम पाठक पुत्र अवधेश पाठक ने इस पूरे प्रकरण को लेकर न्यायालय की शरण ली थी। कोर्ट के निर्देश पर पुलिस ने आरोपी सेल्स मैनेजर के खिलाफ केस दर्ज किया। आरोप है कि शिवम यादव, निवासी घूरहवा जिला फैजाबाद, फाइनेंस कंपनी में सेल्स मैनेजर के पद पर तैनात था और महिलाओं को समूह लोन उपलब्ध कराने का कार्य करता था।
जांच में सामने आया कि आरोपी ने समूह से जुड़ी संगीता, संध्या, अरुण निशा, सुमन देवी, रेनू, ओम सती, पिंकी सहित कई महिलाओं के बैंक खाते बैंक ऑफ महाराष्ट्र और एयरटेल बैंक में खुलवाए। इसके बाद धोखे से महिलाओं के मोबाइल पर आने वाले ओटीपी की जानकारी हासिल कर उनके पासबुक और खातों से रकम निकाल ली। महिलाएं अनपढ़ या कम पढ़ी-लिखी होने के कारण इस जालसाजी को समझ नहीं सकीं।
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जब फाइनेंस कंपनी को लेन-देन में गड़बड़ी की भनक लगी तो आंतरिक जांच कराई गई। जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि संबंधित सेल्स मैनेजर न केवल जालसाजी में लिप्त था, बल्कि उसने फर्जी नाम और पते पर कंपनी में नौकरी हासिल की थी। जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि उसका वास्तविक नाम दयानंद यादव पुत्र राम प्रसाद है, जो निबरहर थाना सहजनवां का निवासी है।
कंपनी के कर्मचारी जब आरोपी के बताए पते पर पहुंचे तो वह वहां से भी फरार मिला। इसके बाद शाखा प्रबंधक ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने दयानंद यादव के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। फिलहाल पुलिस आरोपी की तलाश में दबिश दे रही है और मामले की गहन जांच जारी है।
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यह मामला न केवल महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि फाइनेंस कंपनियों की आंतरिक निगरानी व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।