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नई स्टडी में सामने आया कि वाई-फाई राउटर से लोगों की मौजूदगी और मूवमेंट ट्रैक किया जा सकता है, भले ही उनके पास कोई कनेक्टेड डिवाइस न हो। यह रिसर्च प्राइवेसी के लिए खतरा बढ़ा सकती है और वाई-फाई राउटर को सर्विलांस टूल में बदल सकती है।
Wi-Fi राउटर से भी हो सकती है जासूसी (img source: Google)
New Delhi: आज के डिजिटल युग में वाई-फाई राउटर केवल इंटरनेट कनेक्शन देने तक सीमित नहीं रह गया है। हाल ही में जर्मनी के Karlsruhe इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (KIT) की एक स्टडी में यह सामने आया कि वाई-फाई राउटर लोगों की मौजूदगी, मूवमेंट और पॉश्चर तक पता लगा सकता है। यह तकनीक उन लोगों के लिए भी काम करती है जिनके पास मोबाइल, लैपटॉप या कोई कनेक्टेड डिवाइस नहीं है।
KIT के प्रोफेसर थॉर्स्टन स्ट्रूफ की अगुवाई में हुई रिसर्च में पाया गया कि वाई-फाई राउटर द्वारा भेजी गई रेडियो वेव्स में बदलाव से रियल-टाइम में लोगों की पहचान संभव है। जब लोग रेडियो वेव्स के बीच से गुजरते हैं, तो वेव्स में मामूली बदलाव आता है, जिससे लोगों का डेटा और इमेज तैयार की जा सकती है। यह प्रक्रिया CCTV कैमरे की तरह काम करती है, लेकिन इसमें फोटो की बजाय रेडियो सिग्नल का इस्तेमाल किया जाता है।
वाई-फाई राउटर (Img source: google)
मॉडर्न वाई-फाई राउटर में बीमफॉर्मिंग फीडबैक इंफोर्मेशन (BFI) होता है, जिससे सिग्नल बेहतर तरीके से काम करता है। KIT की टीम ने पाया कि इस डेटा का उपयोग करके किसी कमरे में लोगों की मौजूदगी और उनके मूवमेंट का पता लगाया जा सकता है। प्रोफेसर स्ट्रूफ ने इसे रेडियो वेव्ज से चलने वाला “लाइट वेव कैमरा” बताया।
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रिसर्च टीम का कहना है कि वाई-फाई राउटर को सर्विलांस के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति रोज किसी वाई-फाई नेटवर्क वाले कैफे के पास से गुजरता है, तो उसकी मौजूदगी और मूवमेंट को उसकी जानकारी के बिना ट्रैक किया जा सकता है। यह डेटा कंपनियां और सरकारें विभिन्न उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं।
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आजकल हर जगह वाई-फाई राउटर मौजूद हैं, जिससे यह तकनीक बड़े पैमाने पर निगरानी का एक नया इंफ्रास्ट्रक्चर बन सकती है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे लोगों की प्राइवेसी पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।