

अब पुलिस भी बनेगी हाई-टेक! हैदराबाद पुलिस ने अपराधों की जांच और रोकथाम के लिए AI और ड्रोन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का फैसला किया है। पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जानर ने बताया कि तकनीक के सहारे ट्रैफिक, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रभावी सुधार होंगे।
AI के ज़रिए बदलेगी पुलिसिंग
Hyderabad: स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, बैंक और अस्पतालों के बाद अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पुलिसिंग का भी हिस्सा बनने जा रही है। हैदराबाद पुलिस ने ऐलान किया है कि वे अपराध नियंत्रण, जांच और सुरक्षा उपायों में अब AI और ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेंगे। इस कदम को भारत में पुलिस तंत्र के तकनीकी आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
हैदराबाद के पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जानर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि AI तकनीक का इस्तेमाल अब केवल कॉरपोरेट सेक्टर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसे पुलिसिंग में भी लाया जा सकता है। उन्होंने कहा, "हम AI का उपयोग कानून-व्यवस्था बनाए रखने, ट्रैफिक कंट्रोल, रोड सेफ्टी, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए करेंगे।"
AI के ज़रिए बदलेगी पुलिसिंग
AI के साथ-साथ पुलिस ड्रोन तकनीक का भी इस्तेमाल करेगी। सज्जानर ने बताया कि दुनिया भर के कई पुलिस बल पहले से ही ड्रोन टेक्नोलॉजी का सफलतापूर्वक उपयोग कर रहे हैं। अब हैदराबाद पुलिस भी ड्रोन से निगरानी और ट्रैफिक मॉनिटरिंग जैसे कामों में इसका इस्तेमाल करेगी। खासकर भीड़भाड़ वाले इलाकों, संवेदनशील क्षेत्रों और सार्वजनिक आयोजनों में ड्रोन अहम भूमिका निभा सकते हैं।
AI तकनीक डेटा एनालिसिस, पैटर्न रिकग्निशन और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स के जरिए पुलिस को यह अनुमान लगाने में मदद करेगी कि किसी क्षेत्र में अपराध की आशंका कहां है। यह न केवल अपराध होने के बाद उसकी जांच में सहायक होगा, बल्कि अपराध को पहले से पहचान कर रोकने में भी सहायक हो सकता है।
अगस्त 2025 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूके में एक AI-पावर्ड क्राइम प्रेडिक्शन सिस्टम पर काम हो रहा है। यह सिस्टम एक रियल टाइम इंटरएक्टिव क्राइम मैप तैयार करेगा जो यह बताएगा कि कहां पर अपराध होने की आशंका है। इससे पुलिस समय से पहले कार्रवाई कर सकेगी।
अमेरिका के लॉस एंजेल्स और शिकागो जैसे शहरों में भी इस तरह के सिस्टम पहले लागू किए गए थे, लेकिन वहां तकनीकी और सामाजिक कारणों से इनका असर सीमित रहा। हालांकि, इन प्रयोगों से जो अनुभव मिले हैं, उनसे भारत जैसे देशों को सीख मिल सकती है।
पुलिस कमिश्नर सज्जानर ने साफ किया कि AI केवल अपराध रोकने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा में भी तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। AI के जरिए संदिग्ध गतिविधियों की पहचान की जा सकेगी और पीड़ितों तक तुरंत सहायता पहुंचाई जा सकेगी।
हैदराबाद जैसे महानगरों में ट्रैफिक एक बड़ी समस्या है। AI आधारित कैमरे और सेंसर ट्रैफिक के रुझानों का विश्लेषण कर सकते हैं और जाम की स्थिति को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही, दुर्घटनाओं की पहचान और तेज राहत कार्य सुनिश्चित किए जा सकेंगे।
चुनौतियाँ और चिंताएँ भी मौजूद
जहां AI के इस्तेमाल से अपराध नियंत्रण में नई संभावनाएं दिखती हैं, वहीं निजता (Privacy), डेटा सुरक्षा (Data Security) और मानवाधिकारों से जुड़ी चिंताएं भी उठती रही हैं। तकनीक का संतुलित और जवाबदेह इस्तेमाल ही इसे सफल बना सकेगा।