Uttar Pradesh: अब लिफ्ट और एस्केलेटर लगाने के लिए कराना पड़ेगा पंजीकरण, UP सरकार ने जारी किया आदेश
उत्तर प्रदेश विधानसभा में शनिवार को ‘उप्र लिफ्ट और एस्केलेटर विधेयक, 2024’ और ‘उप्र लोक आयुक्त तथा उप लोक आयुक्त (संशोधन) विधेयक, 2024’ पारित हो गया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में शनिवार को ‘उप्र लिफ्ट और एस्केलेटर विधेयक, 2024’ और ‘उप्र लोक आयुक्त तथा उप लोक आयुक्त (संशोधन) विधेयक, 2024’ पारित हो गया।
इसमें कहा गया है कि अब लिफ्ट और एस्केलेटर लगाने के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। दूसरे विधेयक में लोक आयुक्त और उप लोक आयुक्त का कार्यकाल आठ वर्ष से घटाकर पांच वर्ष का प्रावधान किया गया है।
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उप्र सरकार के ऊर्जा एवं नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने उप्र लिफ्ट और एस्केलेटर विधेयक, 2024 और वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने उप्र लोक आयुक्त तथा उप लोक आयुक्त (संशोधन) विधेयक का प्रस्ताव सदन में रखा जिसके समर्थन में बहुमत होने से अध्यक्ष सतीश महाना ने दोनों विधेयकों के पारित किये जाने की घोषणा की।
इसके पहले राज्य के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने दोनों विधेयकों के मसौदे की खामियां गिनाते हुए इसे प्रवर समिति को सौंपे जाने का प्रस्ताव रखा लेकिन दोनों प्रस्ताव गिर गये।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने उप्र लोक आयुक्त तथा उप लोक आयुक्त (संशोधन) विधेयक के बारे में बताया कि इसमें लोक आयुक्त और उप लोक आयुक्त का कार्यकाल आठ वर्ष से घटाकर पांच वर्ष कर दिया गया है और अधिकतम आयु 70 वर्ष कर दी गयी है। हालांकि सपा सदस्य डॉ. आर.के. वर्मा अधिकतम आयु 60 वर्ष किये जाने पर जोर दे रहे थे।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उप्र लिफ्ट और एस्केलेटर विधेयक, 2024 विधेयक के बारे में ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि नोएडा में एक घटना के बाद विधायक धीरेन्द्र सिंह और पंकज सिंह ने यह मांग की थी कि लिफ्ट और एस्केलेटर के लिए कानून बनाया जाए।
सदस्यों को बधाई देते हुए शर्मा ने कहा कि विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि सार्वजनिक रूप से लिफ्ट और एस्केलेटर लगाने के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। इसमें हादसा होने पर तत्काल सूचना देने और बीमा तथा मुआवजा का भी प्रावधान किया गया है।
विधेयक के कानून बनने के बाद लिफ्ट और एस्केलेटर बिना ऊर्जा विभाग की मंजूरी प्राप्त किये नहीं लगाया जा सकेंगे। लिफ्ट और एस्केलेटर बनाने और इसे स्थापित करने वाली तथा रखरखाव करने वाली एजेंसियों के लिए विद्युत सुरक्षा निदेशालय में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। हर पांच साल में इसका नवीनीकरण कराना होगा। हर साल इसकी जांच करानी होगी और इसके लिए 1500 रुपये शुल्क जमा करना पड़ेगा। मरम्मत नहीं कराने और मानक की अनदेखी करने पर भी संबंधित मालिक या संस्था पर जुर्माना लगाया जाएगा।
शर्मा ने विधेयक को समय की मांग बताते हुए यह भी कहा कि महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल और हरियाणा आदि राज्यों में लिफ्ट लगाने के लिए अपना कानून है लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी इसके लिए कोई प्रावधान नहीं था।
उन्होंने कहा कि इसके लागू होने से न केवल हादसों पर अंकुश लगेगा बल्कि व्यवस्था भी मजबूत होगी।
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भाजपा के सदस्य धीरेन्द्र सिंह ने विधेयक लाये जाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ऊर्जा मंत्री शर्मा के प्रति सदन में आभार ज्ञापित किया और कहा कि यह विधेयक मील का पत्थर साबित होगा।
हालांकि सपा के सदस्यों डॉ. आरके वर्मा, अमिताभ वाजपेयी और कमाल अख्तर ने इसके मसौदे की खामियां गिनाते हुए प्रवर समिति को सौंपे जाने की मांग की। अमिताभ वाजपेयी ने कहा कि इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि बीमा कौन देगा, मुआवजा कौन देगा और लिफ्ट से अब तक हुए हादसों का आंकड़ा नहीं दिया गया है। उनकी शिकायत थी कि यह जल्दबाजी में तैयार किया गया है।
ऊर्जा मंत्री ने स्पष्ट किया कि नियमावली में सभी प्रावधान किए जाएंगे।
दोनों विधेयकों के पारित होने के बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर इसका स्वागत किया।