हिंदी
आजकल लॉकडाउन में रामायण का प्रसारण दूरदर्शन पर हो रहा है, इसी में लव-कुश के प्रसंग में जिक्र आया उपनयन संस्कार का। बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जिन्हें इस संस्कार के बारे में पता होगा। डाइनामाइट न्यूज़ पर आज हम आपको बता रहे हैं क्या है उपनयन संस्कार..
नई दिल्लीः लॉकडाउन के दौरान टीवी पर एक बार फिर से रामायण का प्रसारण शुरू कर दिया गया है। रामायण खत्म होने के बाद उत्तर रामायण शुरू किया गया है, जिसमें लव-कुश का उपनयन संस्कार दिखाया गया है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं क्या होता है उपनयन संस्कार।
हिंदू परंपरा के अनुसार मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने के लिए 16 संस्कारों को अपने जीवन में अपनाना जरूरी है। इन्हीं संस्कारों में दसवां संस्कार है उपनयन संस्कार।
उपनयन संस्कार को जनेऊ संस्कार और यज्ञोपवीत के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार ये संस्कार शिक्षा पाने के लिए किया जाता है। जिस दौरान शिष्य को गायत्री मंत्र की दीक्षा मिलती है।
इस संस्कार के दौरान बच्चे के पिता उसे गुरु के पास लेकर जाते हैं, जहां बच्चा गुरु को प्रणाम करके उनसे उसे शिक्षा देने की विनती करता है। फिर गुरु वैदिक मंत्रों का जाप कर शिष्य को नये कपड़े पहनने के लिए देते हैं। गुरु बच्चे से उसका नाम पूछते हैं और वह अपना नाम बताता है। वह उससे पूछते हैं कि वह किसका शिष्य है, तो इस पर शिष्य कहता है कि वह उन्हीं का शिष्य है। इसके बाद गुरु उसका उपनयन संस्कार पूरा करते हैं।
शास्त्रों के अनुसार इस संस्कार को कभी भी किया जा सकता है। पर ब्राह्म्ण बच्चों के लिए 11 से 12 साल के बीच की उम्र सही मानी जाती है।
No related posts found.