इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने सरकारी धन से संचालित मदरसों को लेकर पूछा ये बड़ा सवाल

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्र व राज्य सरकार से मदरसों में मजहबी शिक्षा दिए जाने के संबंध में पूछा है कि सरकारी धन से संचालित मदरसों में मजहबी शिक्षा कैसे दी जा सकती है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 1 April 2023, 2:01 PM IST
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लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केंद्र व राज्य सरकार से मदरसों में मजहबी शिक्षा दिए जाने के संबंध में पूछा है कि सरकारी धन से संचालित मदरसों में मजहबी शिक्षा कैसे दी जा सकती है।

न्यायालय ने यह भी बताने को कहा है कि क्या यह संविधान में प्रदत्त तमाम मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। न्यायालय ने जवाब देने के लिए छह सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश जौनपुर के एजाज अहमद की सेवा संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया।

अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार बताएं कि सरकारी खर्चे पर या सरकार द्वारा वित्त पोषित करते हुए, मजहबी शिक्षा कैसे दी जा रही है।

न्यायालय ने यह भी पूछा कि क्या यह संविधान के कुछ अनुच्छेदों का उल्लंघन नहीं है। न्यायालय ने कहा कि सचिव, अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय, भारत सरकार व प्रमुख सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण व वक्फ, याचिका पर जवाब देने के साथ-साथ हलफनामा दाखिल करते हुए उपरोक्त प्रश्नों के भी उत्तर दें।

याचिकाकर्ता ने खुद को वेतन न दिए जाने का मुद्दा उठाते हुए न्यायालय से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है। याची का कहना है कि वह जौनपुर के शुदनीपुर स्थित एक मदरसे में पढ़ाता है और उसे वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

न्यायालय ने याची के मामले पर यह भी आदेश दिया है कि यदि याची उक्त मदरसे में पढ़ाता है व उक्त मदरसा सरकार से धन प्राप्त करता है तो उसके छह अप्रैल 2016 के नियुक्ति पत्र के अनुसार उसे वेतन का भुगतान किया जाए।

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