महराजगंज का चर्चित निक्कू जायसवाल हत्याकांड: सुनिये मृतक युवा व्यापारी के छोटे भाई धीरज की पीड़ा

शिवेन्द्र चतुर्वेदी/शुभम खरवार

गैंगेस्टर एक्ट में जमानत पर छूटकर जेल से बाहर आये हिस्ट्रीशीटर अनिल गुप्ता ने आठ साल पहले घुघुली इलाके के जिस युवा व्यापारी राजमणि उर्फ निक्कू जायसवाल की निर्मम हत्या की थी, उसका परिवार आज भी घटना को यादकर सिहर उठता है। पुलिस द्वारा चार्जशीट लगा देने के बाद अब न्यायालय की चौखट पर 8 साल से इंसाफ के इंतजार में परिवार है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:



महराजगंज: जिले के कोठीभार थाने में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 398/2012 धारा 147, 148, 149, 302, 323, 504, 506 भादवि के मुताबिक राजमणि उर्फ निक्कू जायसवाल पुरैना चौराहे पर मोबाइल की दुकान करता था। दुकान बंद कर अभी कुछ दूरी पर ही पहुंचा था कि पहले से घात लगाकर बैठे घुघुली थाने के हिस्ट्रीशीटर व गैंगेस्टर अनिल गुप्ता ने अपने गिरोह के साथ मिल निक्कू जायसवाल की सनसनीखेज तरीके से चाकूओं से गला रेतकर हत्या कर दी।

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इस मामले में कोठीभार पुलिस ने गैंगेस्टर अनिल गुप्ता को दोषी पाने के बाद न्यायालय में अपनी चार्जशीट संख्या ए-81-ए 16 जून को दाखिल कर दी है। अब पूरा मामला न्यायालय की चौखट पर है। वारदात 22 मई 2012 के शाम की है। 

घुघुली थाने के बेलवा टीकर गांव के निवासी प्रेमलाल जायसवाल के छोटे पुत्र धीरज भी उस मनहूस घड़ी में अपने मृतक भाई निक्कू के साथ थे। डाइनामाइट न्यूज़ की टीम से बात करते हुए छोटे भाई धीरज जायसवाल की आंखे भर आती हैं।

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उसने बताया कि किस तरह वह जान बचाकर हत्यारों के चंगुल से किसी प्रकार बचा लेकिन भाई निक्कू को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। 

इलाके में अपनी धौंस जमाने और शार्ट कट अपना कम समय में अमीर बनने के सपने ने निक्कू के हत्या के आरोपी अनिल गुप्ता को जरायम के रास्ते पर धकेल दिया। महज आठ साल में इस पर दो-दो बार वर्ष 2014 और 2017 में तबके जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों ने गुंडा एक्ट लगा जिला बदर किया। इसके बाद से इसके ऊपर एक के बाद संगीन मुकदमों का सिलसिला प्रारंभ हो गया। घुघुली पुलिस ने इसके आतंक से आजिज आकर इसकी हिस्ट्रीशीट खोल डाली और इसे थाने के मजारिया हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया। इसकी हिस्ट्रीशीट संख्या 7-बी है। इतने के बाद भी इसकी रंगबाजी जारी रही।

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आये दिन रंगदारी, अवैध वसूली की इसकी आदतें बढ़ती गयीं। इसने अपनी वसूली की जद में जिला बचत अधिकारी, अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड, सहायक आय़ुक्त एवं सहायक निबंधन सहकारिता, तत्कालीन तहसीलदार सदर, तत्कालीन खंड विकास अधिकारी, तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी, विभिन्न ग्राम प्रधानों तक को ले लिया।

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डाइनामाइट न्यूज़ के पास मौजूद रिकार्ड बताते हैं कि गैंगेस्टर अनिल गुप्ता कई नवयुवकों को फंसाकर अपने गिरोह में शामिल कर चुका है और सफेदपोश तरीके से यह फर्जी आरटीआई और लीगल नोटिस के नाम पर अवैध वसूली करता है और रंगदारी मांगता है। यह एक प्राइवेट एनजीओ सोशियो लीगल वेलफेयर सोसायटी भी बनाये है, जिसकी आड़ में अपने अवैध गतिविधियों को अंजाम देता है।

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दिसंबर महीने में जिला प्रशासन द्वारा की गयी गैंगेस्टर की कार्यवाही के बाद यह महीनों जेल में सड़ता रहा और कुछ दिन पहले ही जमानत पर छूटकर बाहर निकला है। जिला प्रशासन ने इसकी अवैध संपत्तियों की जब्ती की कार्यवाही भी प्रारंभ कर रखी है। 

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह शातिर अपराधी एक तरफ अपने जाति के नाम का संगठन चला भोले-भाले नौजवानों को फंसा उनसे अपने अवैध काम कराता है और वहीं पर अपनी ही जाति के नौजवान निक्कू की अपने स्वार्थ में हत्या कर देता है फिर बड़े आराम से सफेदपोश की तरह फर्जी आरटीआई और लीगल नोटिस के नाम पर समाज से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का दिखावा करता है। 










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