महराजगंज का निक्कू जायसवाल मर्डर: हत्या के आरोपी अनिल गुप्ता को कब मिलेगी सजा? परिजनों के आंखों के नहीं सूख रहे आंसू?
बात साल 2012 की है, एक तरफ देश की राजधानी दिल्ली में दरिंदों की बेरहमी का शिकार निर्भया हुई तो वहीं महराजगंज जिला कांप उठा था घुघुली इलाके में एक युवा व्यापारी निक्कू जायसवाल की चाकूओं से गला रेतकर की गयी सनसनीखेज निर्मम हत्या से। निर्भया के दोषी तो फांसी के फंदे पर झूल गये लेकिन निक्कू के परिवार को आज भी इंतजार है इंसाफ का। आठ साल पहले हुए इस मर्डर की पड़ताल करती डाइनामाइट न्यूज़ की ये खास रिपोर्ट..
महराजगंज: 22 मई 2012 की शाम को युवा व्यापारी राजमणि उर्फ निक्कू जायसवाल अपने छोटे भाई धीरज के साथ मोटरसाइकिल पर बैठकर निकला लेकिन वह अपने साथ अगले कुछ ही पलों में होने वाली बड़ी अनहोनी को नहीं भांप पाया। जिले के कोठीभार थाने में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 398/2012 धारा 147, 148, 149, 302, 323, 504, 506 भादवि के मुताबिक निक्कू की पुरैना चौराहे दुकान थी। परिवार में कपड़े, किराने व मोबाइल की दुकानें थीं।
दुकान बंद कर अभी कुछ दूरी पर ही पहुंचा था कि पहले से घात लगाकर बैठे घुघुली थाने के हिस्ट्रीशीटर व गैंगेस्टर अनिल गुप्ता ने अपने गिरोह के गुर्गों के साथ मिलकर निक्कू जायसवाल की सनसनीखेज तरीके से चाकूओं से गला रेतकर हत्या कर दी। जानकार बताते हैं कि इसके पीछे वजह रंगदारी और वसूली थी। निक्कू युवावस्था में ही अपने भाईयों के साथ मिल व्यापार में अपने कदम बढ़ा रहा था, इसी बीच अनिल की नजर इसके बढ़ते व्यापार पर लग गयी और अंजाम वसूली में कामयाब न होने पर हत्या।
इस मामले में कोठीभार पुलिस ने गैंगेस्टर अनिल गुप्ता को दोषी पाने के बाद न्यायालय में अपनी चार्जशीट संख्या ए-81-ए 16 जून को दाखिल कर दी है। अब पूरा मामला न्यायालय की चौखट पर है।
घुघुली थाने के बेलवा टीकर गांव के निवासी प्रेमलाल जायसवाल के घर जब डाइनामाइट न्यूज़ की टीम पहुंची तो परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। मृतक राजमणि उर्फ निक्कू के बड़े भाई अरुण जायसवाल और छोटे भाई धीरज जायसवाल ने घटना के दिन की कहानी को सिलसिलेवार (देखें वीडियो) तरीके से बताया।
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डाइनामाइट न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि इलाके में अपनी धौंस जमाने और शार्ट कट अपना कम समय में अमीर बनने के सपने ने निक्कू के हत्या के आरोपी अनिल गुप्ता को जरायम के रास्ते पर धकेल दिया। महज आठ साल में इस पर दो-दो बार वर्ष 2014 और 2017 में तबके जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों ने गुंडा एक्ट लगा जिला बदर किया। इसके बाद से इसके ऊपर एक के बाद संगीन मुकदमों का सिलसिला प्रारंभ हो गया। घुघुली पुलिस ने इसके आतंक से आजिज आकर इसकी हिस्ट्रीशीट खोल डाली और इसे थाने का मजारिया हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया। इसकी हिस्ट्रीशीट संख्या 7-बी है।
इतने के बाद भी इसकी रंगबाजी जारी रही। आये दिन रंगदारी, अवैध वसूली की इसकी आदतें बढ़ती गयीं। इसने अपनी वसूली की जद में जिला बचत अधिकारी, अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड, सहायक आय़ुक्त एवं सहायक निबंधन सहकारिता, तत्कालीन तहसीलदार सदर, तत्कालीन खंड विकास अधिकारी, तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी, परियोजना अधिकारी- डूडा समेत विभिन्न ग्राम प्रधानों तक को ले लिया।
डाइनामाइट न्यूज़ के पास मौजूद सरकारी रिकार्ड बताते हैं कि गैंगेस्टर अनिल गुप्ता कई नवयुवकों को फंसाकर अपने गिरोह में शामिल कर चुका है और सफेदपोश तरीके से यह फर्जी आरटीआई और लीगल नोटिस के नाम पर अवैध वसूली करता है और रंगदारी मांगता है। यह एक प्राइवेट एनजीओ सोशियो लीगल वेलफेयर सोसायटी भी बनाये है, जिसकी आड़ में अपने अवैध गतिविधियों को अंजाम देता है। दिसंबर महीने में जिला प्रशासन द्वारा की गयी गैंगेस्टर की कार्यवाही के बाद यह महीनों जेल में सड़ता रहा और कुछ दिन पहले ही जमानत पर छूटकर बाहर निकला है। जिला प्रशासन ने इसकी अवैध संपत्तियों की जब्ती की कार्यवाही भी प्रारंभ कर रखी है।
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सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह शातिर अपराधी एक तरफ अपने जाति के नाम का संगठन चला भोले-भाले नौजवानों को फंसा गिरोह बनाकर उनसे अपने अवैध काम कराता है और वहीं पर अपनी ही वैश्य जाति के नौजवान निक्कू की अपने स्वार्थ में हत्या कर देता है, फिर बड़े आराम से सफेदपोश की तरह फर्जी आरटीआई और लीगल नोटिस के नाम पर समाज से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का ढ़ोंग करता है।
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अब देखना होगा कि भाई की हत्या के शिकार जायसवाल परिवार को न्याय कब मिलेगा? कब हत्यारे फांसी के फंदे पर झूलेंगे?