आज भी हरे हैं जख्म, वारदात याद कर कांप उठता है परिवार: महराजगंज के चर्चित व्यापारी निक्कू जायसवाल की हत्या का मामला
फर्जी आरटीआई और लीगल नोटिस के नाम पर लोगों से रंगदारी और वसूली करने वाले गैंगेस्टर अनिल गुप्ता ने जरायम की दुनिया में पहला कदम ही मर्डर करके रखा था। जिस बेरहमी से युवा व्यापारी निक्कू जायसवाल की हत्या की गयी, उससे हर कोई सहम उठा था। डाइनामाइट न्यूज़ विशेष:
महराजगंज: आठ साल पहले हिस्ट्रीशीटर अनिल गुप्ता ने घुघुली थाने के बेलवा टीकर गांव के निवासी और इलाके के प्रमुख व्यवसायी प्रेमलाल जायसवाल के घर के चिराग को बुझा दिया। प्रेमलाल के पुत्र राजमणि उर्फ निक्कू किराने, कपड़े और मोबाइल का व्यापारी था।
उसका व्यापार में तेजी से आगे बढ़ना कई लोगों को अखर गया फिर क्या तारीख थी 22 मई और साल था 2012, सूर्यास्त के वक्त धोखे से निक्कू को अपने पास बुला बेरहमी से गला रेतकर हत्या कर दी गयी। किसी तरह से मृतक का छोटा भाई धीरज अपनी जान बचाकर हत्यारों के चंगुल से भागा। अभी भी उसे लगातार हत्या की धमकियां गैंगेस्टर की तरफ से मिल रही है।
जिले की कोठीभार पुलिस ने इस मामले में हत्या की एफआईआऱ संख्या 398/2012 धारा 147, 148, 149, 302, 323, 504, 506 भादवि के तहत दर्ज की औऱ आरोप पत्र संख्या ए-81-ए,16 जून को न्यायालय को भेज दिया। अब परिजन इस आस में हैं कि जल्द उन्हें इंसाफ मिले।
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मृतक के बड़े भाई अरुण ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि उसके भाई की हत्या के बाद से ही परिवार सदमे में है। परिवार को न्यायपालिका और भगवान पर पूरा भरोसा है और वे कहते हैं कि निर्भया के दोषियों की तरह एक न एक दिन निक्कू के हत्यारे भी फांसी के फंदे पर लटकेंगे।
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परिजनों के मुताबिक वारदात वाली शाम पहले से घात लगाकर बैठे घुघुली थाने के हिस्ट्रीशीटर व गैंगेस्टर अनिल गुप्ता ने अपने गिरोह के साथ मिल निक्कू की सनसनीखेज तरीके से चाकूओं से गला रेतकर हत्या कर दी।
डाइनामाइट न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि इलाके में अपनी धौंस जमाने और शार्ट कट अपना कम समय में अमीर बनने के सपने ने निक्कू के हत्या के आरोपी अनिल गुप्ता को जरायम के रास्ते पर धकेल दिया। महज आठ साल में इस पर दो-दो बार वर्ष 2014 और 2017 में तबके जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों ने गुंडा एक्ट लगा जिला बदर किया। इसके बाद से इसके ऊपर एक के बाद संगीन मुकदमों का सिलसिला प्रारंभ हो गया।
घुघुली पुलिस ने इसके आतंक से आजिज आकर इसकी हिस्ट्रीशीट खोल डाली और इसे थाने के मजारिया हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया। इसकी हिस्ट्रीशीट संख्या 7-बी है।
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डाइनामाइट न्यूज़ के पास मौजूद सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि गैंगेस्टर अनिल गुप्ता कई नवयुवकों को फंसाकर अपने गिरोह में शामिल कर चुका है और सफेदपोश तरीके से यह फर्जी आरटीआई और लीगल नोटिस के नाम पर अवैध वसूली करता है और रंगदारी मांगता है। यह एक प्राइवेट एनजीओ सोशियो लीगल वेलफेयर सोसायटी भी बनाये है, जिसकी आड़ में अपने अवैध गतिविधियों को अंजाम देता है।
दिसंबर महीने में जिला प्रशासन द्वारा की गयी गैंगेस्टर की कार्यवाही के बाद यह महीनों जेल में सड़ता रहा और कुछ दिन पहले ही जमानत पर छूटकर बाहर निकला है। जिला प्रशासन ने इसकी अवैध संपत्तियों की जब्ती की कार्यवाही भी प्रारंभ कर रखी है।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह शातिर अपराधी एक तरफ अपने जाति के नाम का संगठन चला भोले-भाले नौजवानों को फंसा उनसे अपने अवैध काम कराता है और वहीं पर अपनी ही वैश्य जाति के नौजवान निक्कू की अपने स्वार्थ में हत्या कर देता है फिर बड़े आराम से सफेदपोश की तरह फर्जी आरटीआई और लीगल नोटिस के नाम पर समाज से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने का ढ़ोंग करता है।