महराजगंज: पुलिस-अपराधी गठजोड़ का नायाब नमूना, पत्रकारों के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज

डीएन संवाददाता

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जैसी देश की शीर्ष अदालतें कुछ भी कहें लेकिन इसका कोई असर कुर्सी पर बैठे अफसरों पर नहीं होता, वजह जब तक ये कुर्सी पर होते हैं अपने आप को भगवान मानने का मुगालता पाल बैठते हैं और कुर्सी से गिरते ही इन्हें अपनी गलतियों का एहसास होता है लेकिन अफसोस तब कोई बचाने वाला नहीं होता। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:

पत्रकारों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज
पत्रकारों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज


लखनऊ: महराजगंज जिले में डेढ़ साल से जमे पुलिस अधीक्षक रोहित सिंह सजवान और तीन साल से जमे अपर पुलिस अधीक्षक आशुतोष शुक्ला की चर्चित जोड़ी का एक नया कांड सामने आया है। इस नये कांड ने पुलिस और अपराधियों के पुराने गठजोड़ की कलई एक बार फिर खोल कर सबके सामने रख दी है। 

इन दोनों अफसरों ने महराजगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय के षड़यंत्र में शामिल होकर नई दिल्ली से चलने वाले देश के अंग्रेजी व हिंदी भाषा के निर्भीक, निष्पक्ष और भरोसेमंद राष्ट्रीय न्यूज़ पोर्टल डाइनामाइट न्यूज़ के पत्रकारों के खिलाफ कोरोना महामारी में गलत खबर प्रकाशित करने का एक झूठा मुकदमा पंजीकृत कराया है। 

पुलिस-अपराधी गठजोड़ का पर्दाफाश: गैंगेस्टर को बनाया सामाजिक कार्यकर्ता

इस झूठे मुकदमे को दर्ज करने के लिए सेवा नियमावली और अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए एसपी और एएसपी ने मिलकर एक ऐसे अपराधी को बतौर वादी खड़ा किया, जो चंद दिनों पहले ही गैंगेस्टर एक्ट में जमानत कराकर जेल से छूटा है। 

सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि इस मुकदमे का वादी अनिल गुप्ता पुत्र कोदई गुप्ता, ग्राम- बेलवा टीकर, थाना- घुघुली, जिला- महराजगंज जिले का एक कुख्यात गुंडा है। दो-दो बार गुंडा एक्ट लगाकर इसे जिला बदर किया जा चुका है। इस पर एक दर्जन से अधिक संगीन आपराधिक मामले अलग-अलग थानों में दर्ज हैं। इनमें हत्या, रंगदारी, वसूली, सरकारी अफसरों से मारपीट जैसी गंभीर धारायें शामिल हैं। यह घुघुली थाने का हिस्ट्रीशीटर है। कुछ महीने पहले ही डूडा के परियोजना अधिकारी से रंगदारी मांगने का केस इसके खिलाफ कोतवाली में पंजीकृत हुआ है। इस पर जिले के कोठीभार थाने में युवा व्यापारी निक्कू जायसवाल की हत्या का केस धारा 302 के तहत दर्ज है। पुलिस इस मामले में न्यायालय को चार्जशीट भेज चुकी है और अब मामला जिला न्यायालय में विचाराधीन है, जहां कभी भी इस हत्यारे को सजा सुनायी जा सकती है। 

मजेदार बात यह है कि इस मुकदमे के कंटेंट से ही स्पष्ट है कि तत्कालीन जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय ने पुलिस अधीक्षक और अपर पुलिस अधीक्षक के साथ मिलकर यह झूठा मुकदमा पंजीकृत करवाया है। 

पुलिस की संवेदना अपराधियों के साथ कितनी है इसकी जरा बानगी देख लीजिये, जिले का एक कुख्यात गैंगेस्टर एसपी को तहरीर देता है वो भी सामाजिक कार्यकर्ता बनकर और उतावलेपन को बेचैन एसपी इसकी जांच का जिम्मा सौंप देते हैं अपने खास जोड़ीदार एएसपी को, वह भी इस विशेष निर्देश के साथ कि “Add SP स्वयं जांच करें”, इसके बाद एडिशनल साहब तो ठहरे एडिशनल साहब.. साहब ने अपने परम ज्ञान की गंगा में गोते लगाते हुए एकतरफा रिपोर्ट लगा डाली, साहब ने जांच के क्रम में न तो किसी संवाददाता का कोई बयान लेना उचित समझा और न ही सच्चाई का पता लगाना। बस बैठे-बिठाये जो मन चाहा लिख दिया और अपनी फर्जी जांच के आधार डाइनामाइट न्यूज़ के खोजी और जांबाज पत्रकारों को डराने-धमकाने के मकसद से झूठा मुकदमा पंजीकृत करा डाला। 

डीजीपी ने दिया निष्पक्ष और सख्त कार्यवाही का भरोसा 
इस बारे में डाइनामाइट न्यूज़ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी से बात की और सिलसिलेवार तरीके से पूरा मामला बताया, जिसे सुन डीजीपी हैरान रह गये। उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष और सख्त कार्यवाही का भरोसा दिया।










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