

कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर किसानों का आंदोलन जारी है। इस बीच केंद्र सरकार किसानों से बातचीत के लिये तैयार हो गयी है, जिससे मामले का हल निकलने की संभावना बढ गयी है। पढिये, डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: नये कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन 26 नवंबर से लगातार चला आ रहा है। किसानों का धरना-प्रदर्शन आज छठवें दिन भी जारी है। किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। इस बीच केंद्र सरकार किसानों से बातचीत के लिये तैयार हो गयी है, जिससे मामले का हल निकलने की संभावना बढ गयी है। सरकार ने आज दोपहर बाद तीन बजे किसानों को बतचीत का न्यौता दिया है।
बताया जाता है कि सरकार द्वारा केवल 32 किसान संगठनों को ही बातचीत में शामिल होने का न्यौता दिया है, जबकि कुल 52 संगठनों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। ऐसे में बचे 20 किसान संगठनों में सरकार के खिलाफ अभब भी गुस्सा है और बातचीत के लिय न बुलाये जाने से उन्होंने नाराजगी जतायी है।
किसानों के जारी आंदोलन के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान नेताओं के साथ बैठक बुलाई है। इस बैठक में किसान संगठछन अपनी समस्याओं को लेकर सरकार से बातचीत करेंगे। पिछले 6 दिनों से किसान सड़कों पर हैं और लगातार सरकार से आधिकारिक वार्ता की अपील कर रहे थे। आज होनी वाली बैठक से किसानों के आंदोलन का हल निकलने की संभावना बढञ गयी है। हालांकि कुछ किसान संगठन अब भी सरकार से नाराज हैं।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत सरकार ने किसानों से यह शर्त रखी थी कि वह अपने आंदोलन के लिये बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में जाएं, फिर बात होगी। लेकिन किसानों ने सरकार के इस प्रस्ताव को नहीं माना था। इससे पहले अक्टूबर-नवंबर में भी किसान-सरकार के प्रतिनिधियों की बात हो चुकी है।
सरकार द्वारा आज बातचीत का न्यौता दिये जाने के बावजूद भी कई किसान संगठन सरकार के इस प्रस्ताव से नाराज चल रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि जिन किसान संगठनों से सरकार ने कृषि कानून के मसले पर पहले भी बात की है, आज केवल उन्हीं संगठनों को वार्ता के लिए न्योता दिया गया है। इस दौरान कुल 32 प्रतिनिधि कृषि मंत्री के साथ वार्ता करेंगे।
किसानों का कहना है कि कृषि कनून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के कुल 52 संगठन है, इनमें से सरकार द्वारा केवल 32 किसान संगठनों को ही बातचीत के लिये बुलाया गया है, जो ठीक नहीं है। ऐसे नाराज किसान संगठनों ने दोबारा अपनी नई रणनीति बनाये जाने का ऐलान किया है।