झारखंड मुद्दे पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा से किया वॉकआउट
हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राज्यपाल द्वारा झारखंड में शासन के लिए अंतरिम व्यवस्था नहीं किए जाने को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने शुक्रवार को राज्यसभा से बहिर्गमन किया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राज्यपाल द्वारा झारखंड में शासन के लिए अंतरिम व्यवस्था नहीं किए जाने को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने शुक्रवार को राज्यसभा से बहिर्गमन किया।
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उच्च सदन में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने झारखंड के घटनाक्रम की तुलना पड़ोसी राज्य बिहार में हाल में हुए घटनाक्रम से की और कहा कि जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था तब उनका इस्तीफा तुरंत स्वीकार कर लिया गया और उन्हें नई सरकार बनने तक पद पर बने रहने के लिए कहा गया था।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार खरगे ने कहा कि नीतीश कुमार को कुछ ही घंटे में फिर से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई और सब कुछ 12 घंटे में संपन्न हो गया।
उन्होंने कहा ‘‘लेकिन झारखंड में जब सोरेन ने बुधवार को इस्तीफा दिया तो कोई अंतरिम व्यवस्था नहीं की गई।’’
खरगे ने कहा कि सोरेन के इस्तीफे के बाद 81 सदस्यीय विधानसभा में समर्थन देने वाले 43 विधायकों के हस्ताक्षर के साथ उनके उत्तराधिकारी का नाम भी राज्यपाल को सौंपा गया। उन्होंने कहा कि समर्थन करने चार अन्य विधायक भी थे जो राज्य से बाहर थे और अपने हस्ताक्षर नहीं कर सके।
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उन्होंने कहा, ‘‘(सोरेन के इस्तीफा देने के बाद) उन्होंने (राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने) कोई इंतजाम नहीं किया ।’’
खरगे ने कहा कि संविधान में प्रावधान है कि मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने की स्थिति में सरकार बनी रहेगी और राज्यपाल वैकल्पिक व्यवस्था होने तक इस्तीफा देने वाले मुख्यमंत्री या किसी अन्य व्यक्ति के पद पर बने रहने की अंतरिम व्यवस्था करते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल बहुमत रखने वाले दल से सरकार बनाने को कहते हैं और फिर उनसे विश्वास मत हासिल करने को कहा जाता है।
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कांग्रेस नेता ने कहा कि लगभग 20 घंटे के इंतजार के बाद, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नवनिर्वाचित नेता चंपई सोरेन को राज्यपाल से मिलने का निमंत्रण मिला लेकिन समर्थन पत्रों के बावजूद उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि आज (शुक्रवार को) नए मुख्यमंत्री शपथ ले रहे हैं।
जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बिहार में जो कुछ भी हुआ उसका उल्लेख करते हुए खरगे ने सवाल किया, ‘‘जो कुछ वहां (बिहार) हुआ, वह झारखंड में क्यों नहीं?’’
उन्होंने कहा कि अगर बिहार में इस्तीफा, समर्थन पत्र स्वीकार और शपथ ग्रहण 12 घंटे में हो सकता है तो झारखंड में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?
उन्होंने कहा, ‘‘यह शर्मनाक है।’’
सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि झारखंड में एक बड़ा भूमि घोटाला हुआ है जिसके कारण सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा।
उन्होंने कहा, ‘‘इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार साबित हुआ है... कैसे मुख्यमंत्री ने जमीन घोटाला किया। इसके बावजूद कांग्रेस उस मुख्यमंत्री का बचाव कर रही है। उस मुख्यमंत्री के आचरण पर कोई स्पष्टीकरण नहीं है। वह भ्रष्टाचार के बारे में बात ही नहीं कर रही है। इससे यह बात फिर से साबित होती है कि भ्रष्टाचार कांग्रेस के डीएनए में ही है। कांग्रेस भ्रष्टाचार स्वीकार करती है।’’
गोयल ने कहा कि राज्यपाल के आचरण पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती।
राज्यपाल की कार्रवाई का बचाव करते हुए, उन्होंने कहा कि राज्यपाल को सरकार बनाने के लिए किसी को भी बुलाने से पहले खुद संतुष्ट होना होता है तभी वह अगला कदम उठाते हैं।
हालांकि, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर जोर दिया कि राज्य ‘नेतृत्वविहीन’ क्यों हो गया और नयी सरकार बनने तक सोरेन को पद पर बने रहने या किसी और को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं कहा गया तथा कोई अंतरिम व्यवस्था नहीं की गई।
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इसके बाद वे सदन से बहिर्गमन कर गए।
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता डॉ के केशव राव ने कहा कि संविधान कहता है कि हर समय सरकार होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का नेतृत्व मुख्यमंत्री द्वारा किया जाना चाहिए, चाहे मुख्यमंत्री कोई भी व्यक्ति हो, हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।’’
राव ने कहा, ‘‘इस देश को संविधान के माध्यम से चलना है।’’
इसके विरोध में सत्ता पक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के भाई डी के सुरेश के उस कथित बयान का मुद्दा उठाया गया जिसमें दक्षिणी राज्यों के लिए ‘एक अलग राष्ट्र’ का विचार प्रस्तुत किया गया था।
कर्नाटक से लोकसभा के सदस्य डी के सुरेश ने बृहस्पतिवार को कथित तौर पर कहा था कि अगर विभिन्न करों से एकत्रित धनराशि के वितरण के मामले में दक्षिणी राज्यों के साथ हो रहे 'अन्याय' को दूर नहीं किया गया तो दक्षिणी राज्य एक अलग राष्ट्र की मांग करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
सदन के नेता गोयल ने कहा कि यह कांग्रेस की विभाजनकारी सोच को दर्शाता है। कांग्रेस पर समय-समय पर देश को बांटने का आरोप लगाते हुए गोयल ने कहा कि ताजा प्रकरण इसका यह एक उदाहरण है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस ने सुरेश के बयान पर चर्चा का तकनीकी आधार पर विरोध किया है कि लोकसभा के एक सांसद के आचरण पर राज्यसभा में चर्चा नहीं हो सकती लेकिन वह एक राज्यपाल के आचरण को यहां मुद्दा बना रही है, जिन्हें पता है कि क्या किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विपक्ष का यह बहिर्गमन भ्रष्टाचार के पक्ष में है।