DN Exclusive: तीन महीने से निलंबन की काल-कोठरी में पड़े हैं भ्रष्टाचारी पूर्व डीएम अमरनाथ उपाध्याय
जिले स्तर के राजनीतिक आकाओं के झांसे में आकर गैरकानूनी कामों को अंजाम देने वाले महराजगंज के पूर्व जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय अपने अहंकार की आग में बुरी तरह झुलस रहे हैं। अब न तो इन्हें इनके जिला स्तरीय राजनीतिक आका बचा पा रहे हैं और न ही आईएएस होने का दंभ अमरनाथ को बचा पा रहा है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
महराजगंज: ठीक तीन महीने पहले 14 अक्टूबर को प्रमोटेड आईएएस अमरनाथ उपाध्याय के निलंबन का ऐलान लखनऊ में मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने भरी प्रेस कांफ्रेस में किया था। जिस दिन निलंबन हुआ, उसी मिनट से पूर्व डीएम के गुर्गे कहने लगे कि साहब की पहुंच बहुत ऊंची है, एक-दो दिन में ही बहाल हो जायेंगे और अबकी बार किसी बड़े जिले का डीएम बनेंगे लेकिन ये क्या.. एक-दो दिन कौन कहे पूरे तीन महीने बीत गये, अपनी सफाई में फाइल लेकर दौड़ते-दौड़ते और अहंकारी साहब अब भी निलंबन की काल-कोठरी में भयानक ठंड में भी पसीने बहा रहे हैं।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता की पड़ताल में यह तथ्य सामने आया कि महराजगंज जिला 2 अक्टूबर 1989 को अस्तित्व में आया। तीस साल के जनपदीय इतिहास में अमरनाथ सिर्फ दूसरे ऐसे डीएम बने जिन्हें निलंबन की मार झेल जिले से रुखसत होना पड़ा, वह भी गौ-माता के चारा चोरी और सवा तीन सौ एकड़ जमीन घोटाले के भ्रष्टाचार के संगीन काले दाग से साथ।
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अमूमन राज्य में जब भी कोई आईएएस सस्पेंड होता है तो राज्य सूचना विभाग एक प्रेस विज्ञप्ति भेज कर जानकारी दे देता है लेकिन अमरनाथ के सस्पेंशन की जानकारी बाकायदा प्रेस वार्ता कर दी गयी, वह भी राज्य के सबसे बड़े अधिकारी मुख्य सचिव के द्वारा। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमरनाथ की काली-करतूतों से लखनऊ का सत्ता प्रतिष्ठान किस तरह खफा है।
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सूत्र बताते हैं कि अमरनाथ के बुरे दिन जल्द समाप्त नहीं होने वाले। इन्हें अभी कई तरह की जांचों का सामना करते हुए दफ्तर-दफ्तर अपनी सफाई में कागज लेकर दौड़ना है। डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर एक और जांच अमरनाथ के खिलाफ बैठायी गयी है। भारत सरकार के डीओपीटी मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी केसी राजू ने राज्य के मुख्य सचिव को 31 दिसम्बर को पत्र लिख भ्रष्टाचार के मामले में कार्यवाही को कहा है। तो इसका मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में अमरनाथ को लखनऊ से लेकर दिल्ली तक अपनी सफाई में सरकारी दफ्तरों के खूब चक्कर काटने होंगे।