Ayodhya RamMandir: राम मंदिर के साथ-साथ सजाया-संवारा जा रहा है ''श्री ठाकुर द्वारा मंदिर'', श्रद्धालु यहां भी करेंगे दर्शन

डीएन ब्यूरो

अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों के बीच गोरखपुर जिले के रामामऊ में सरयू तट पर स्थित 16वीं शताब्दी के 'श्री ठाकुर द्वारा मंदिर' को भी सजाया-संवारा जा रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

'श्री ठाकुर द्वारा मंदिर' को सजाने-संवारने की शुरुआत
'श्री ठाकुर द्वारा मंदिर' को सजाने-संवारने की शुरुआत


लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों के बीच गोरखपुर जिले के रामामऊ में सरयू तट पर स्थित 16वीं शताब्दी के 'श्री ठाकुर द्वारा मंदिर' को भी सजाया-संवारा जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के गृह जिले गोरखपुर के अत्यंत प्राचीन 'श्री ठाकुर द्वारा मंदिर' के कायाकल्प और सौंदर्यीकरण की तैयारी जोर शोर से जारी है। लखनऊ से करीब 318 किलोमीटर और अयोध्या से 135 किलोमीटर दूर राम जानकी पथ पर गोरखपुर जिले के गोला उपनगर से सटे सरयू तट पर रामामऊ बसा है।

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राज्‍य पुरातत्व विभाग की निदेशक रेनू द्विवेदी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘ रामा मऊ के प्राचीनतम ‘श्री ठाकुर जी मंदिर’ के वर्गाकार गर्भगृह में राम-जानकी एवं हनुमान जी की प्राचीन, बेशकीमती व मनोहारी मूर्तियों के साथ ही 365 शालिग्राम स्‍थापित हैं।''

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार द्विवेदी ने कहा, ‘‘मंदिर लखौरी ईंटों से निर्मित है और इसके गर्भ गृह में ही पुष्‍प-वल्‍लरी एवं राम दरबार के दृश्‍यों को अलंकृत किया गया है। सरयू नदी के बाएं तट पर स्थित इस मंदिर में लगे लखौरी ईंटों की माप के आधार पर इसे 16वीं शताब्दी के आसपास का माना गया है।''

एक अधिकारी ने बताया कि अति प्राचीन व जीर्ण शीर्ण पड़े इस मंदिर को मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के निर्देश के बाद शासन स्तर से मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही इसके संरक्षण की शुरुआत की गयी है।

गोरखपुर-आजमगढ़ मंडल के क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी (आरटीओ) रवीन्‍द्र कुमार ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि सैकड़ों वर्ष पुराने इस मंदिर की विरासत को सहेजने का निर्देश मुख्‍यमंत्री ने दिया और उसके बाद इसके सौंदर्यीकरण और पर्यटन विकास के लिए शासन स्तर से धनराशि भी आवंटित हुई। इससे इसका स्वरूप काफी हद तक बदला है और आगे इसके लिए व्यापक योजना भी बन रही है।

कुमार ने बताया कि नये वित्त वर्ष में इस मंदिर के पास एक धर्मशाला और शौचालय बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।

रामामऊ पीठ ट्रस्ट के प्रमुख न्‍यासी कैप्‍टन बंशीधर मिश्र ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘किंवदंती है कि भगवान राम जब जनकपुर से सीता जी को ब्याह कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उन्‍होंने यहां सरयू तट पर रामामऊ में विश्राम किया था और बाद में एक संत ने यहां के जंगलों में तपस्या करने के बाद इस मंदिर की आधारशिला रखी।’’

बंशीधर मिश्र ने बताया कि ''मंदिर की दीवारों पर पुरानी चित्रकारी रामजन्म से लेकर लंका कांड तक की कहानी दर्शाती है। यह सब कुछ रख रखाव के अभाव में धूमिल हो गया, लेकिन ट्रस्ट ने इसके लिए पर्यटन निदेशालय से अनुरोध किया और इस दिशा में बेहतर पहल हो रही है।’’

क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कुमार ने बताया कि इंटेक (नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज) से इसके संरक्षण की दिशा में पहल की है और उसके लिए अतिरिक्‍त बजट की आवश्यकता है।

इंटेक के गोरखपुर प्रकोष्ठ के संयोजक इंजीनियर महावीर प्रसाद कंडोई ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘ इंटेक की स्थापना पुरातात्विक महत्व के स्थलों को सुरक्षित और संरक्षित करने, लोगों को जागरुक करने और उनका मार्गदर्शन करने के लिए हुई है।’’

मंदिर ट्रस्ट से जुड़े घनश्याम कुमार कसौधन ने कहा कि अयोध्या आने वाले श्रद्धालु भगवान श्री राम से जुड़े अन्य स्थलों पर भी जाना चाहेंगे और इस लिहाज से यह मंदिर एक अहम स्थान है।










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