

समाज में पारंपरिक रूप से यह धारणा थी कि महिलाएं खेलों में पुरुषों की बराबरी नहीं कर सकतीं। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। महिला खिलाड़ी न केवल अपनी राष्ट्रीय टीमों का हिस्सा बन रही हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत का नाम रोशन कर रही हैं।
भारतीय महिला खिलाड़ी (सोर्स-गूगल)
New Delhi: भारत में महिलाओं के खेलों के प्रति रुचि और उनकी भागीदारी में पिछले कुछ वर्षों में एक अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। पहले जहाँ खेलों में महिलाओं को उपेक्षित किया जाता था, वहीं अब नई पीढ़ी अपनी ताकत और संघर्ष से पारंपरिक सोच को चुनौती दे रही है। खेल, खासकर क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन और मुक्केबाजी जैसे क्षेत्रों में महिला खिलाड़ियों की सफलता ने समाज की सोच को बदलने का काम किया है।
महिला खिलाड़ियों का नया अध्याय
समाज में पारंपरिक रूप से यह धारणा थी कि महिलाएं खेलों में पुरुषों की बराबरी नहीं कर सकतीं। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। महिला खिलाड़ी न केवल अपनी राष्ट्रीय टीमों का हिस्सा बन रही हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत का नाम रोशन कर रही हैं। खिलाड़ी जैसे मैरी कॉम, साक्षी मलिक, पीवी सिंधु और दीपिका पल्लीकल ने न सिर्फ महिलाओं को प्रेरित किया है, बल्कि दुनिया में यह भी साबित किया है कि महिला खिलाड़ी हर क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंच सकती हैं।
खेलों में महिला सशक्तिकरण की दिशा
भारत में, क्रिकेट और बैडमिंटन जैसे खेलों में महिला खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या यह साबित करती है कि अब महिलाएँ सिर्फ घर तक सीमित नहीं हैं। महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज और झूलन गोस्वामी जैसे नाम, महिला क्रिकेट को दुनिया के सामने एक मजबूत पहचान दिला चुके हैं। उनका नेतृत्व और खेलों में प्रदर्शन महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो रहे हैं।
नई पीढ़ी में खेलों का बढ़ता क्रेज़
पिछले कुछ वर्षों में नई पीढ़ी के बीच खेलों के प्रति रूचि और उत्साह में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। आज की युवा महिलाएँ अपने सपनों को उड़ान दे रही हैं और खेलों को अपने जीवन का हिस्सा बना रही हैं। स्कूलों और कॉलेजों में महिला खेलों के लिए आयोजित होने वाले टूर्नामेंटों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। साथ ही हरियाणा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में महिलाओं के लिए खेल की सुविधाएँ बढ़ाई जा रही हैं, जिससे उन्हें प्रशिक्षण और मंच मिल सके।
सरकार की भूमिका और समर्थन
भारत सरकार भी महिला खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठा रही है। Khelo India और Fit India Movement जैसे प्रोग्राम महिला खिलाड़ियों के लिए काफी मददगार साबित हो रहे हैं। इन कार्यक्रमों के तहत खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया जाता है और उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने के अवसर मिलते हैं।
समाज में बदलती सोच
खेलों के क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने समाज की सोच को बदलने में मदद की है। अब पहले की तरह यह नहीं माना जाता कि महिलाएं केवल घरेलू कार्यों के लिए हैं। महिलाएं खेलों में भी अपनी पहचान बना रही हैं और उनका सम्मान किया जा रहा है। समाज अब यह समझने लगा है कि महिलाओं के लिए भी खेलों में करियर बनाने का उतना ही मौका है जितना कि पुरुषों के लिए।