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भारत के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना ने अपने शानदार और यादगार 22 साल लंबे करियर को विराम दे दिया है। 45 वर्षीय बोपन्ना ने प्रोफेशनल टेनिस से संन्यास लेने का फैसला किया है, जिससे भारतीय टेनिस के एक सुनहरे युग का अंत हो गया।
रोहन बोपन्ना ने लिया संन्यास (Img: Internet)
New Delhi: भारतीय टेनिस के सबसे सफल खिलाड़ियों में शुमार रोहन बोपन्ना ने अपने 22 साल लंबे प्रोफेशनल करियर को अलविदा कह दिया है। 45 वर्षीय बोपन्ना ने पेरिस मास्टर्स 1000 टूर्नामेंट में अपना आखिरी मैच खेला। इस साल उन्होंने कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं। जिसमें ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बनने से लेकर युगल विश्व रैंकिंग में नंबर 1 तक पहुंचने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बनने तक शामिल हैं।
अपने रिटायरमेंट की घोषणा करते हुए बोपन्ना ने भावुक शब्दों में कहा, “आप किसी ऐसी चीज़ को कैसे अलविदा कह सकते हैं जिसने आपके जीवन को अर्थ दिया हो? 20 साल से अधिक का यह सफर अब समाप्त हो गया है। मैं टेनिस से संन्यास ले रहा हूं। भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए गर्व की बात रही है। जब भी मैं कोर्ट पर उतरा, मैंने भारतीय ध्वज के लिए खेला।”
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— Rohan Bopanna (@rohanbopanna) November 1, 2025
उनके इन शब्दों में अपने देश और खेल के प्रति गहरा सम्मान झलकता है।
रोहन बोपन्ना के करियर में कई यादगार पल रहे। वह दो बार ग्रैंड स्लैम चैंपियन बने। उन्होंने 2017 में गैब्रिएला डाब्रोवस्की के साथ फ्रेंच ओपन मिक्स्ड डबल्स का खिताब जीता और 2024 में मैथ्यू एबडेन के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन पुरुष युगल ट्रॉफी अपने नाम की। इसके अलावा, उन्होंने चार अन्य ग्रैंड स्लैम फाइनल में भी जगह बनाई।
उनकी उपलब्धियां इस बात का प्रमाण हैं कि उम्र केवल एक संख्या है, 45 की उम्र में भी उन्होंने कोर्ट पर अपनी फिटनेस और कौशल से दुनिया को प्रभावित किया।
रोहन बोपन्ना ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में रिटायरमेंट की घोषणा करते हुए लिखा, “अलविदा, पर अंत नहीं।” उन्होंने बताया कि टेनिस उनके लिए केवल एक खेल नहीं बल्कि जीवन का आधार रहा है। उन्होंने लिखा कि टेनिस ने उन्हें कई बार मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकाला और जीवन को नया अर्थ दिया।
बोपन्ना ने सानिया मिर्ज़ा के साथ 2016 रियो ओलंपिक में मिश्रित युगल स्पर्धा में चौथा स्थान हासिल किया। यह जोड़ी मेडल से थोड़ी दूर रह गई, लेकिन उन्होंने पूरे देश को गर्व का अहसास कराया। उन्होंने कई एकल टूर्नामेंटों में भी हिस्सा लिया, लेकिन युगल में उन्हें ज़्यादा सफलता मिली।
रोहन बोपन्ना ने 2003 में पेशेवर टेनिस में कदम रखा था। दो दशकों से अधिक लंबे इस सफर में उन्होंने न सिर्फ भारत का नाम ऊंचा किया, बल्कि भारतीय युगल टेनिस को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके खेल, अनुशासन और जुनून ने आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का काम किया। हालांकि उन्होंने कोर्ट को अलविदा कह दिया है, लेकिन उनका योगदान और प्रेरणा हमेशा भारतीय टेनिस के इतिहास में अमर रहेगी।