

अमेरिकी ग्रैंडमास्टर हंस नीमन ने सोशल मीडिया पर अमेरिका की शतरंज व्यवस्था की आलोचना करते हुए भारत की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और शतरंज महासंघ अपने खिलाड़ियों को सुपरस्टार की तरह सम्मान देते हैं, जबकि अमेरिकी महासंघ अपने ही खिलाड़ियों को नुकसान पहुंचाता है।
अमेरिकी ग्रैंडमास्टर हंस नीमन (सोर्स- सोशल मीडिया)
New Delhi: अमेरिकी ग्रैंडमास्टर हंस नीमन का एक ट्वीट शतरंज जगत में चर्चा का केंद्र बन गया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर किए गए पोस्ट में नीमन ने भारत और अमेरिका की शतरंज व्यवस्थाओं की तुलना करते हुए अमेरिकी शतरंज महासंघ (US Chess Federation) पर गंभीर आरोप लगाए। जिसकी वजह से एक नई बहस छिड़ गई है।
हंस मोको नीमन ने लिखा, "भारत सरकार और शतरंज महासंघ अपने खिलाड़ियों को सुपरस्टार की तरह ट्रीट करते हैं। वे कम उम्र से ही उनके विकास में निवेश करते हैं और जीत पर उन्हें पुरस्कृत भी करते हैं। वहीं, अमेरिकी शतरंज महासंघ अपने ही खिलाड़ियों को नुकसान पहुँचाता है। इसके दुष्परिणाम 5-10 वर्षों में सामने आएंगे।"
नीमन का यह बयान अब तक 2.75 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है और तेजी से वायरल हो रहा है। शतरंज प्रेमी, खिलाड़ी और समीक्षक इस पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। नीमन की पोस्ट ने ना केवल अमेरिका की शतरंज प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि भारत की तारीफ करते हुए वहां की शतरंज नीतियों को भी वैश्विक मान्यता दिलाई है।
The Indian government and chess federation treats their players like superstars: supporting their development from an early age and rewarding them for their victories. While the American chess federation sabotages their own. The consequences will be very clear in 5-10 years.
— Hans Niemann (@HansMokeNiemann) August 3, 2025
भारत में बीते कुछ वर्षों में चेस को भरपूर समर्थन मिल रहा है। प्रज्ञानंद, आर. वैशाली, विदित गुजराती, अर्जुन एरिगैसी और कोनेरू हम्पी जैसे युवा और अनुभवी खिलाड़ी अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की पहचान बन चुके हैं। हाल ही में दिव्या देशमुख ने FIDE महिला विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया और उन्हें महाराष्ट्र सरकार द्वारा 3 करोड़ रुपये का पुरस्कार भी दिया गया।
हैंस मोको नीमन एक अमेरिकी ग्रैंडमास्टर और लोकप्रिय शतरंज स्ट्रीमर हैं। उनका जन्म सैन फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया में हुआ था, लेकिन वे 7 साल की उम्र में नीदरलैंड चले गए, जहां उन्होंने शतरंज की शुरुआत की। बाद में अमेरिका लौटकर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर खेलना शुरू किया। 2016 में उन्होंने FIDE मास्टर का खिताब जीता।
2024 की स्पीड शतरंज चैंपियनशिप में नीमन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ग्रैंडमास्टर मैक्सिम वचियर-लाग्रेव और वेस्ली सो को हराया था। वे इस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल तक पहुंचे, लेकिन फाइनल में उन्हें मैग्नस कार्लसन से हार का सामना करना पड़ा।
हंस नीमन का यह बयान केवल एक व्यक्तिगत राय नहीं, बल्कि अमेरिका की शतरंज संरचना के प्रति असंतोष का संकेत है। उनकी बातों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
फिडे महिला विश्व कप 2025 न केवल एक अखिल भारतीय फाइनल के रूप में यादगार रहा, बल्कि इसने भारत की शतरंज में बढ़ती ताकत और प्रभुत्व को भी उजागर किया। दिव्या देशमुख की जीत ने भारतीय शतरंज प्रेमियों में नई उम्मीदें और उत्साह जगा दिया है।