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विश्व भर की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या एक आम बीमारी बनती जा रही है। भारत के मशहूर मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर ने ब्रेस्ट कैंसर को लेकर एक शोध रिपोर्ट जारी की है, जिसमें इस समस्या का सर्वोत्तम इलाज पाया गया।
प्रेस वार्ता में डॉ सुदीप गुप्ता और डॉ राजेंद्र बडवे
मुंबई: देश के मशहूर मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या को लेकर शुक्रवार को एक बड़ा खुलासा किया। संस्थान ने ब्रेस्ट कैंसर के किफायती और नये इलाज के बारे में जानकारी दी, जिसमें कम लागत वाली कीमोथेरेपी दवा कार्बोप्लाटिन के इस्तेमाल को बेहतर विकल्प बताया। संस्थान ने शोध रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि कार्बोप्लाटिन के उपयोग से ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (TNBC) की दर में भारी कमी दर्ज की गई। युवा या प्रीमेनोपॉजल रोगियों को कार्बोप्लाटिन से सबसे अधिक लाभ मिलता है।
डॉ सुदीप गुप्ता और डॉ राजेंद्र ए बडवे का खुलासा
टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए नई स्टडी के प्रमुख लेखक टीएमसी के निदेशक डॉ सुदीप गुप्ता के साथ टीएमसी के पूर्व निदेशक और परिक्षण के प्रमुख डॉ राजेंद्र ए बडवे मौजूद रहे। इस दौरान डॉ गुप्ता ने मीडिया को संबोधित करते हुए ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी महत्पूर्ण जानकारी सांझा की।
कई महिलाओं पर हुए शोध
डॉ. सुदीप गुप्ता ने कहा, 'कुल मिलाकर, कार्बोप्लाटिन ने पांच साल की जीवित रहने की दर में लगभग 7.6 प्रतिशत की वृद्धि की, जो सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण और चिकित्सकीय रूप से बेहद सार्थक है। उन्होंने कहा कि यह स्टडी रजोनिवृत्ति से पहले की महिलाओं, 50 या उससे कम उम्र की महिलाओं (जिनमें से अधिकांश रजोनिवृत्ति से नहीं गुजरी थी) समेत इससे अधिक आय़ु वर्ग की महिलाओं पर की गई।
शोध के नतीजे बताते हैं कि कार्बोप्लाटिन का उपयोग करने से पांच साल तक जीवित रहने की संभावना लगभग 77% तक आंकी गई, जबकि कार्बोप्लाटिन के बिना यह दर 66% थी।
कार्बोप्लाटिन का उपयोग कारगर
इस दवा के कारण जीवित रहने की संभावना 11% अधिक है। इसी तरह, कार्बोप्लाटिन के साथ पांच वर्षा में कैंसर-मुक्त रहने की संभावना लगभग 12% (62% से बढ़कर 74% तक) बढ़ गई। इसके विपरीत, 50 से अधिक उम्र की महिलाओं को अतिरिक्त दवा से जीवित रहने में कोई महत्वपूर्ण लाभ नहीं मिला। इससे पता चलता है कि युवा या प्रीमेनोपॉजल रोगियों को कार्बोप्लाटिन से सबसे अधिक लाभ मिलता है, हालांकि शोधकर्ता अभी भी इसकी जांच कर रहे हैं कि क्यों।
अतिरिक्त दुष्प्रभाव नहीं
महत्त्वपूर्ण बात यह है कि कार्बोप्लाटिन के उपयोग से बड़े अतिरिक्त दुष्प्रभाव नहीं हुए। उपचार अच्छी तरह से सहन किया गया। गंभीर विषाक्तता की कोई उच्च दर नहीं देखी गई। डॉक्टरों ने नोट किया कि साप्ताहिक (कम खुराक) कार्बोप्लाटिन का उपयोग करने से रोगियों को प्रबंधनीय दुष्प्रभावों के साथ उपचार पूरा करने में मदद मिली।
वहीं, डॉ. राजेंद्र ए. बडवे ने कहा, "भारत के इस एकल संस्थान के परीक्षण ने जितना स्पष्ट परिणाम दिया है, वास्तव में वह प्रेरणादायक है।" "यह दर्शाता है कि भारत में किए गए उच्च गुणवत्ता वाले शोध से दुनिया भर के मरीजों को फायदा हो सकता है। हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया भर के डॉक्टर अब आत्मविश्वास से उपयुक्त मरीजों में टीएनबीसी के इलाज के लिए कार्बोप्लाटिन जोड़ेंगे।"