Child Death: राजस्थान में बड़ी लापरवाही से उठे गंभीर सवाल, मासूमों की मौत का जिम्मेदार कौन?

जब लापरवाही किसी की जान ले ले, तो वह केवल भूल नहीं, अपराध बन जाती है। ऐसे मामलों में जिम्मेदार कौन है, यह तय करना जरूरी हो जाता है। सवाल उठता है कि क्या सिस्टम, कंपनी या डॉक्टर दोषी है और क्या उन्हें उनके अपराध की सजा मिलेगी या नहीं?

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 2 October 2025, 12:06 PM IST
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Rajasthan: लापरवाही अगर छोटी हो, तो उसे नजरअंदाज किया जा सकता है… लेकिन जब वही लापरवाही किसी की जान ले ले, तो सवाल उठते हैं  किसकी गलती थी? किसे सज़ा मिलनी चाहिए?"

राजस्थान में बीते दिनों एक ऐसा हादसा हुआ जिसने ना सिर्फ एक मासूम की जिंदगी छीन ली, बल्कि पूरे राज्य की दवा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया। सरकारी अस्पतालों में बांटे जा रहे एक कफ सिरप के सेवन से एक बच्चे की मौत हो गई और 10 अन्य बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए। एक डॉक्टर की हालत भी नाजुक है। इस मामले ने न सिर्फ दवा कंपनियों की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि सरकारी निगरानी तंत्र की नाकामी को भी सामने ला दिया।

क्या है मामला?

मामला सीकर, जयपुर, झुंझुनू, भरतपुर और बांसवाड़ा जिलों से जुड़ा है। कफ सिरप ‘डेक्स्ट्रोमेथोर्फन हाइड्रोब्रोमाइड’ का इस्तेमाल बच्चों के इलाज में किया गया था। यह सिरप केसन फार्मा द्वारा बनाया गया था, जिसकी सप्लाई सरकारी मुफ्त दवा योजना के तहत की जा रही थी। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सिरप 2023 और 2025 में ब्लैकलिस्ट किया जा चुका था, फिर भी अस्पतालों में बांटा जा रहा था।

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कंपनी ने दवा का फार्मूला थोड़ा बदलकर सप्लाई जारी रखी। नाम वही, लुक वही, लेकिन साल्ट और असर बदल गया। इस धोखे का नतीजा एक मासूम की मौत और कई जिंदगियों के संकट के रूप में सामने आया।

मासूम की जान का गुनहगार कौन?

  • केसन फार्मा, जिसने ब्लैकलिस्टेड दवा के फार्मूले को बदलकर सप्लाई जारी रखी
  • ड्रग कंट्रोल विभाग, जिसने दवा की जांच के बावजूद सप्लाई पर रोक नहीं लगाई
  • सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था, जिसने बिना ठोस जांच के दवा को मरीजों को बांटा
  • प्राइवेट लैब्स, जहां दवा की जांच होती है, लेकिन गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं
  • और अंत में, वो तंत्र, जो जानबूझकर आंख मूंदे बैठा रहा

फैक्ट्री पर ताला, जांच से बचाव की कोशिश?

सूत्रों के अनुसार  जब मीडिया जयपुर के सरणाडूंगर स्थित फैक्ट्री पहुंचा, तो वहां ताला लटका मिला। पड़ोसियों ने बताया कि फैक्ट्री में काम करने वाले सभी कर्मचारी तीन दिन से नदारद हैं। सुरक्षा गार्ड को भी हाल ही में बदला गया है। इससे साफ होता है कि कंपनी जांच से बचने की कोशिश कर रही है।

कंपनी मालिक वीरेंद्र कुमार गुप्ता ने फोन पर बयान देते हुए कहा, "हादसा डॉक्टर की गलती से हुआ, हमने सिरप बदला जरूर है, लेकिन साल्ट बैन नहीं था।" मगर उन्होंने कैमरे पर बोलने से इनकार कर दिया।

सरकारी लापरवाही भी कम नहीं

पड़ताल में खुलासा हुआ कि राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में दी जा रही दवाओं की जांच सरकारी लैब में नहीं, निजी लैब्स में होती है। 2024 में 101 दवाएं फेल रहीं, जबकि 2025 में अब तक 81 दवाएं जांच में फेल हुई हैं। बावजूद इसके, इन दवाओं की सप्लाई जारी रही।

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सरकार जागी, अब रोक लगी

हादसे के बाद राजस्थान सरकार ने डेक्स्ट्रोमेथोर्फन साल्ट वाली सभी दवाओं पर रोक लगा दी है। साथ ही तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कर दिया गया है। राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन के एमडी पुखराज सेन ने कहा है कि अब किसी एक दवा के ब्लैकलिस्ट होने पर पूरी कंपनी की सभी दवाओं की सप्लाई रोकी जाएगी।

सिस्टम फेल या साज़िश?

यह मामला केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि सिस्टम की मिलीभगत, निगरानी की कमी और लालच का नतीजा है। सवाल अब यह है कि  क्या दोषियों को सजा मिलेगी? क्या बच्चों की जान के बदले कोई जिम्मेदारी लेगा? और क्या भविष्य में ऐसी लापरवाही फिर किसी की जिंदगी लील लेगी? जवाब जल्द मिलना चाहिए, क्योंकि अगली बार शायद वक्त न मिले।

Location : 
  • Rajasthan

Published : 
  • 2 October 2025, 12:06 PM IST