Vice-Presidential Election: उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटों का बन रहा दिलचस्प समीकरण, ये फैक्टर्स बिगाड़ सकते हैं खेल

उपराष्ट्रपति चुनाव पर पूरे देश की नजरें लगी हुई है। मुकाबला बेहद दिलचस्प माना जा रहा है क्योंकि सत्ता पक्ष और विपक्ष ने इस चुनाव को दक्षिण भारत पर केंद्रित कर दिया है। इस रिपोर्ट में पढ़िये तेजी से बदलते सियासी माहौल के बीच बन रहे दिलचस्प समीकरण।

Post Published By: Deepika Tiwari
Updated : 7 September 2025, 8:23 PM IST
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नई दिल्ली: आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव ने भारतीय राजनीति में एक बार फिर से हलचल पैदा कर दी है। यह चुनाव केवल संवैधानिक औपचारिकता नहीं बल्कि सत्ता समीकरणों का असली इम्तिहान माना जा रहा है। इस बार मुकाबला एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी के बीच है। दोनों ही उम्मीदवार अपने-अपने खेमे में मजबूत माने जा रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव के लिये हो रही मोर्चाबंदी के बीच वोटों को दिलचस्प समीकरण बन रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ इस रिपोर्ट में इस चुनाव से जुड़ी अहम जानकारियां दे रहा है। साथ ही वो सारे चुनावी फैक्टर्स बता रहा है, जो उपराष्ट्रपति पद के किसी भी प्रत्याशी का खेल बिगाड़ सकते हैं।

कुल 782 मतदाता

उपराष्ट्रपति चुनाव सीपी राधाकृष्णन बनाम बी सुदर्शन रेड्डी के बीच है। इस चुनाव में कुल 782 मतदाता है। यदि मतदान 100 प्रतिशत हुआ और कोई भी मत अमान्य नहीं हुआ, तोः एनडीए को कुल 411 मत मिल सकते हैं। लोकसभा में एनडीए के सदस्यों की संख्या 293 है जबकि राज्यसभा में 106 सदस्य हैं और 12 नामित राज्यसभा सदस्यों को मिलाकर कुल संख्या 411 है।

बहुमत और समीकरण

एनडीए के सदस्यों की संख्या के बाद विपक्ष के पास 371 मत शेष बचते हैं। ऐसे में बहुमत का अंतर केवल 40 मत तक रह जाता है, जो बेहद कम मार्जिंन है।
चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि यदि कोई भी सदस्य क्रॉस वोटिंग या अनुपस्थिति रहता है तो वो इस चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

संतुलित रवैया सरकार के पक्ष में

इस चुनाव में यदि एनडीए का उम्मीदवार जीतता है तो सरकार का आत्मविश्वास और बढ़ेगा और राज्यसभा में विधायी कामकाज आगे बढ़ाना अपेक्षाकृत आसान हो जाएगा। विपक्षी हंगामे और अवरोधों के बीच सभापति का संतुलित रवैया सरकार के पक्ष में झुक सकता है।

राजनीतिक परिदृश्य में सरकार के लिए असहजता

लेकिन अगर विपक्ष का उम्मीदवार जीत जाता है तो यह न केवल एक नैतिक जीत होगी बल्कि यह संदेश भी जाएगा कि बीजेपी का वर्चस्व अब चुनौती के घेरे में है। यह विपक्ष को 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले मनोबल देगा और राजनीतिक परिदृश्य में सरकार के लिए असहजता बढ़ा देगा।

चुनाव परिणाम के बाद ही साफ हो सकेगा

इस प्रकार आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव केवल औपचारिक चुनाव नहीं है, बल्कि यह आने वाले वर्षों की भारतीय राजनीति की दिशा और दशा तय करने वाला होगा। सीपी राधाकृष्णन और बी सुदर्शन रेड्डी दोनों ही अनुभवी और सम्मानित नेता हैं, लेकिन असली सवाल यही है कि किस खेमे की एकजुटता और संख्याबल निर्णायक साबित होगा। उच्च सदन में आगे का संतुलन किस ओर झुकेगा और भारतीय राजनीति में कौन-सा खेमे का पलड़ा भारी रहेगा, यह इस चुनाव परिणाम के बाद ही साफ हो सकेगा।

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