

पांच साल पहले हुए विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान 25 सितंबर को कर दिया गया था और नतीजे 10 नवंबर को आ गए थे। उस लिहाज से देखें तो भारत निर्वाचन आय़ोग अब किसी भी दिन 2025 के चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। इस रिपोर्ट में आप जानेंगे कि क्या हैं बिहार के जमीनी राजनीतिक समीकरण।
किसी भी दिन हो सकता है चुनाव की तारीख का ऐलान
पटना: सोलह दिन तक बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की यात्रा अब पूरी हो चुकी है। अब हर कहीं यही सवाल है कि इस यात्रा से विपक्ष को हासिल क्या हुआ?
इसका अनुमान सत्तारुढ़ एनडीए से लेकर विपक्षी महागठबंधन के नेता अपने-अपने हिसाब से लगा रहे हैं लेकिन एक बात तो तय है कि कांग्रेस और राजद ने अपने कैडर में चुनाव से ठीक पहले जबरदस्त जोश भर दिया है। राहुल और तेजस्वी पूरी यात्रा में बेहद आक्रामक रहे। उनका जोर मोदी सरकार को ‘वोट चोर’ साबित करने पर रहा।
वोटर अधिकार यात्रा का निचोड़?
इस यात्रा के माध्यम से जहां विपक्षी एकता देखने को मिली वहीं, मतदाताओं के बीच यह संदेश भी गया कि सत्तारूढ़ एनडीए का मुकाबला करने के लिए विपक्ष पूरी तरह से तैयार है।
हालांकि, राहुल गांधी की यात्रा के दौरान कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने पीएम नरेन्द्र मोदी को लेकर अभद्र टिप्पणी कर दी, जिसे लेकर बीजेपी ने काफी बवाल किया। यहां तक कि पीएम मोदी ने भी इसे लेकर बयान जारी किया। अब, 4 सितंबर को भाजपा ने इस मुद्दे पर बिहार बंद का ऐलान किया है।
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— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) September 4, 2025
जानें सीटों और मतदाताओं का गणित
बिहार विधान सभा में कुल 243 सीटें हैं। भारत निर्वाचन आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के अनुसार, 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में बिहार में 7.24 करोड़ (72.4 मिलियन) मतदाता लिस्टेड हैं।
2020 में कितना हुआ मतदान?
साल 2020 में तीन चरणों में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में, कुल मतदान 57.05% रहा था। गौरतलब है कि महिला मतदाताओं की भागीदारी दर 59.7% रही, जो पुरुष मतदाताओं की 54.6% की तुलना में अधिक थी।
2025 चुनावों में क्या रहेगी NDA की रणनीति?
NDA (राष्ट्रवादी जनतांत्रिक गठबंधन) ने “सबका साथ, सबका विश्वास” के नारे के साथ स्तर पर एकजुटता साधने की कवायद तेज कर दी है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की रणनीति कई प्रमुख पहलुओं पर आधारित है, जिसका उद्देश्य 2020 और 2024 के चुनावों में नज़र आईं कमजोरियों को दूर करना है। इसके अलावा, मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने की घोषणा करके इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठा दिया है, जिसका उद्देश्य अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) और दलित वोटों को आकर्षित करना है।
INDIA ब्लॉक का क्या है प्लान?
INDIA ब्लॉक (RJD‑केंद्रित विपक्षीय गठबंधन) ने सामाजिक न्याय, बेरोजगारी, युवाओं और ‘बिहारी गौरव’ जैसे एजेंडे को उठाया है। वहीं, लालू प्रसाद यादव की अचानक सक्रियता, खासकर उनके आरा दौरे, विपक्ष की रणनीतिक ताकत को मजबूत कर रही है।
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आखिरकार किसका होगा बिहार?
अगर वोटर लिस्ट विवाद और SIR जैसे मुद्दों पर विपक्ष की आवाज़ मजबूत पड़ती है, तो INDIA ब्लॉक को लाभ मिल सकता है। नई ऊर्जा और प्रत्याशित सहयोग दक्षिणी और पिछड़े वर्गों में उसकी पकड़ को मज़बूत करेंगे। दूसरी ओर, NDA की विकास रैलियों और एकजुटता अभियान का असर भी दिखेगा, खासकर जब मोदी का नाम हो और ऊपर से एनडीए का लालू यादव के कार्यकाल में जंगल राज का हवाला। इसके अलावा, एनडीए RJD में जारी अलगाव और आपसी कलह को भी अपनी ताकत के रुप मे देख रहा है। अब देखना होगा बिहार की जनता किसके मुद्दे के साथ जाती है।