राहुल, तेजस्वी और अखिलेश की ‘तीन लड़कों’ वाली जोड़ी, सारण में क्यों हो रही है इतनी हलचल?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की रणनीति बनाई है। यात्रा में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव एक साथ हैं, जो बिहार के विभिन्न इलाकों में जनता से मिलकर गठबंधन का संदेश दे रहे हैं।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 30 August 2025, 4:05 PM IST
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Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन ने ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की रणनीति तैयार की है। इस यात्रा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक साथ नजर आ रहे हैं। ये तीन प्रमुख नेता अपने गठबंधन के संदेश को लेकर बिहार के विभिन्न इलाकों में घूम रहे हैं, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। यात्रा शनिवार को सारण जिले में पहुंची और यहां राहुल, तेजस्वी और अखिलेश के साथ-साथ अन्य महागठबंधन के नेता भी जीप पर सवार होकर जनता से मिल रहे हैं।

सारण में महागठबंधन की चुनौती: बीजेपी का गढ़?

 ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए सारण में महागठबंधन का जोरदार प्रचार इस वजह से है कि यह क्षेत्र लालू यादव का गढ़ रहा है। हालांकि, पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी ने यहां अपनी पकड़ मजबूत की है। बीजेपी के पास यहां की दोनों लोकसभा सीटों पर कब्जा है, जिसमें महाराजगंज से सांसद जनार्धन सिंह सिग्रीवाल और छपरा से राजीव प्रताप रूडी चुनावी मैदान में जीत हासिल कर चुके हैं। वहीं, आरजेडी नेता रोहिणी आचार्य भी सारण में चुनाव हार चुकी हैं, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि बीजेपी इस क्षेत्र में मजबूत स्थिति में है।

लेकिन महागठबंधन इस बार अपनी ताकत को पूरी तरह से सामने लाने के लिए जोड़ी के साथ सड़कों पर उतरा है। कांग्रेस के साथ-साथ सपा और राजद के नेता इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं, और अपने गठबंधन को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। यहां तक कि सीपीआई (एमाले) के नेता और वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी भी यात्रा में भाग ले रहे हैं।

सारण में विधानसभा सीटों का समीकरण

सारण जिले में कुल दस विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से सात सीटें महागठबंधन के पास हैं। हालांकि, बीजेपी के पास भी यहां कुछ महत्वपूर्ण सीटें हैं, जिनमें तरैया, छपरा, और अमनौर जैसे इलाके आते हैं। सारण के चुनावी समीकरण को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि यहां महागठबंधन की स्थिति मजबूत दिख रही है, लेकिन बीजेपी की चुनौती भी कम नहीं है। सारण में राजनीतिक पिच पर संघर्ष की गति बहुत तेज है। वहीं, महागठबंधन के नेताओं का दावा है कि इस बार उनका मुख्य उद्देश्य उन क्षेत्रों में अपनी पैठ और ताकत को दोबारा से स्थापित करना है जहां बीजेपी ने पिछले चुनावों में जीत हासिल की थी।

यात्रा की यात्रा: कहां से शुरू हुई और कहाँ जाएगी

यह यात्रा 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई थी और 1 सितंबर को पटना में पैदल मार्च के साथ इसका समापन होगा। यह यात्रा अब तक बिहार के विभिन्न जिलों से गुजर चुकी है, जिसमें रोहतास, औरंगाबाद, गयाजी, नवादा, शेखपुरा, नालंदा, लखीसराय, मुंगेर, कटिहार, पूर्णिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज और सीवान शामिल हैं। सारण के बाद यात्रा भोजपुर जिले की ओर बढ़ेगी। इस यात्रा के दौरान लोग अपनी समस्याओं को सामने रख रहे हैं, और महागठबंधन के नेताओं ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि वे उनके हर मुद्दे को हल करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

आरजेडी, कांग्रेस और सपा का गठबंधन

महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि उनके इस ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का उद्देश्य बिहार के लोगों को यह बताना है कि लोकतंत्र को बचाने के लिए गठबंधन एक मजबूत और भरोसेमंद विकल्प है। इस यात्रा में शामिल होने वाले अखिलेश यादव, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने बार-बार बीजेपी सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया है और इसे चुनावों में एक साथ लड़ने का वादा किया है।

राजनीतिक विश्लेषण और भविष्यवाणी

सारण का राजनीतिक माहौल इस बार काफी दिलचस्प है, क्योंकि यहाँ पर एक ओर बीजेपी का दबदबा और दूसरी ओर महागठबंधन की मजबूती दिख रही है। अगले कुछ महीनों में जब चुनाव का माहौल गरम होगा, तो यह देखा जाएगा कि महागठबंधन अपनी ताकत को किस हद तक सारण में और बिहार के अन्य क्षेत्रों में फैला सकता है। सारण के विधानसभा चुनावों में बीजेपी और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर की संभावना जताई जा रही है। महागठबंधन ने इस चुनावी लड़ाई में हर संभव प्रयास किया है, ताकि पिछली हार को भुलाकर एक नई शुरुआत की जा सके।

Location : 
  • Bihar

Published : 
  • 30 August 2025, 4:05 PM IST