

चुनाव आयोग ने सभी राज्यों को 30 सितंबर तक विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की तैयारी पूरी करने के निर्देश दिए हैं। इस कवायद का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना और उसमें मौजूद अवैध या विदेशी नामों को हटाना है। यह प्रक्रिया आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची की सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी।
चुनाव आयोग का बड़ा फैसला
New Delhi: भारत निर्वाचन आयोग ने देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) को 30 सितंबर 2025 तक विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की तैयारी पूरी करने के सख्त निर्देश दिए हैं। यह पहल मतदाता सूची में शुद्धता लाने और अवैध नामों को हटाने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है।
निर्वाचन आयोग ने निर्देश दिया है कि सभी राज्य पिछली एसआईआर के बाद की मतदाता सूचियों को आधार बनाकर वर्तमान मतदाता सूची से मिलान करें। इस प्रक्रिया में पुरानी सूचियों का डिजिटल रूप में विश्लेषण और तुलनात्मक अध्ययन किया जाएगा। उदाहरणस्वरूप, दिल्ली में 2008 की, उत्तराखंड में 2006 की और बिहार में 2003 की सूची को आधार माना जा रहा है।
चुनाव आयोग का बड़ा फैसला
2002 से 2004 के बीच अधिकांश राज्यों में आखिरी बार एसआईआर हुआ था। अब इन राज्यों में पुरानी और नई मतदाता सूचियों के बीच मिलान और डेटा मैपिंग का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। यह डेटा एनालिटिक्स और सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे सूची में किसी भी प्रकार की दोहराव, त्रुटि या अनधिकृत प्रविष्टि को आसानी से पहचाना जा सके।
2026 में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में एसआईआर प्रक्रिया को इन राज्यों में समय रहते पूरा करना आयोग की प्राथमिकता है। साफ-सुथरी मतदाता सूची चुनावी निष्पक्षता की बुनियाद मानी जाती है।
चुनाव आयोग के अनुसार, एसआईआर का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची से उन नामों को हटाना है जो भारतीय नागरिक नहीं हैं। इसमें खासतौर पर उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जहां बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध प्रवासियों की संख्या अधिक पाई जाती है। इसके लिए मतदाताओं के जन्मस्थान, नागरिकता प्रमाण और अन्य दस्तावेजों की जांच की जाएगी।
इस बार एसआईआर प्रक्रिया में डिजिटल टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भी प्रयोग किया जाएगा। कई राज्यों ने मोबाइल ऐप, ऑनलाइन फॉर्म और घर-घर जाकर सत्यापन के लिए टैबलेट्स का उपयोग शुरू कर दिया है। इससे प्रक्रिया पारदर्शी, तेज और भरोसेमंद होगी।
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चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से भी अपील की है कि वे इस प्रक्रिया में सहयोग करें। स्थानीय स्तर पर बूथ लेवल एजेंट (BLA) को सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा। पार्टियों से कहा गया है कि वे किसी भी संदिग्ध प्रविष्टि की जानकारी दें ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया से किसी प्रकार की छेड़छाड़ रोकी जा सके।
आम नागरिकों के लिए आयोग एक सार्वजनिक पोर्टल भी शुरू करेगा जहां वे अपनी प्रविष्टि की जांच कर सकेंगे और आवश्यक सुधार के लिए आवेदन दे सकेंगे। यह पोर्टल न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा बल्कि नागरिकों की भागीदारी भी सुनिश्चित करेगा।