

चुनाव आयोग ने निष्क्रिय राजनीतिक दलों के खिलाफ देशव्यापी कार्रवाई शुरू कर दी है। तमिलनाडु की 42 पार्टियों समेत पूरे देश की 474 पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है। छह साल से चुनाव न लड़ने और खर्च का ब्यौरा न देने के चलते ये कार्रवाई हुई है।
चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई
New Delhi: भारत में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावी प्रणाली को बनाए रखने की दिशा में चुनाव आयोग ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। 2025 में तमिलनाडु विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने राज्य की 42 राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। ये वही पार्टियाँ हैं जिन्होंने लगातार छह साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ा या फिर चुनावी खर्च का ब्यौरा आयोग को नहीं दिया।
यह केवल तमिलनाडु तक सीमित कार्रवाई नहीं है। देशभर में अब तक 474 राजनीतिक दलों को रजिस्टर्ड पार्टियों की सूची से हटाया जा चुका है। यह कार्रवाई जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29A के तहत की गई है, जिसके अंतर्गत रजिस्टर्ड लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त दलों (RUPPs) को चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी दिखानी होती है।
1. पिछले छह साल से कोई चुनाव नहीं लड़े हैं।
2. चुनावी खर्च का लेखा-जोखा समय पर दाखिल नहीं कर रहे।
3. ऑडिटेड अकाउंट्स जमा नहीं कर रहे।
तमिलनाडु की 42 पार्टियों के अलावा, 2021-22 से 2023-24 तक ऑडिट रिपोर्ट न जमा करने वाली 39 अन्य पार्टियों की भी पहचान की गई है।
चुनाव आयोग की बड़ी कार्रवाई
• मनिथानेया मक्कल काची (एमएमके)- जिसके दो विधायक हैं और जो डीएमके की सहयोगी रही है।
• कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके)- एक विधायक और एक सांसद, डीएमके के टिकट पर चुनाव लड़ा।
• तमिलागा मक्कल मुनेत्र कड़गम (टीएमएमके)- बीजेपी की सहयोगी रही, कमल के निशान पर तेनकासी से चुनाव लड़ा।
• मणिथानेया जननायगा काची (एमजेके)- AIADMK के टिकट पर 2016 में चुनाव लड़ा लेकिन इसके बाद निष्क्रिय रही।
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• पेरुंथलाइवर मक्कल काची- 2016 और 2021 में AIADMK के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन कोई जीत नहीं मिली।
• एनआर धनपालन की पार्टी, जो पेरम्बूर सीट से चुनाव लड़ी लेकिन असफल रही।
"छह साल से चुनाव नहीं लड़ा? चुनाव आयोग ने की 474 पार्टियों की छुट्टी, 800 और दलों पर लटकी तलवार@ECISVEEP #TamilNadu #ElectionCommission pic.twitter.com/GbLc7DBpg9
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) September 21, 2025
चुनाव आयोग का अभियान केवल तमिलनाडु तक सीमित नहीं है। पिछले दो महीनों में पूरे देश से 808 पार्टियों को हटाया गया है। साथ ही 359 अन्य RUPPs की समीक्षा चल रही है, जिन्हें आवश्यक दस्तावेज जमा न करने पर हटाया जा सकता है। यदि ये 359 दल भी आयोग की शर्तों को पूरा नहीं करते हैं, तो कुल हटाई गई पार्टियों की संख्या 833 हो जाएगी।
• अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के लिए
• फर्जी पार्टियों और शेल संगठनों को सिस्टम से बाहर करने के लिए
• टैक्स छूट और अन्य सरकारी लाभों के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया अब निरंतर चलेगी और सभी RUPPs को समय पर दस्तावेज़ जमा करने होंगे, अन्यथा उनके खिलाफ भी ऐसी ही कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा आयोग ने यह भी संकेत दिया है कि आगामी समय में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए और नियमों में सख्ती लाई जा सकती है।