

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। चुनाव आयोग 30 सितंबर के बाद राज्य का दौरा कर सकता है और उसके तुरंत बाद तारीखों का ऐलान संभव है। इस बार चुनाव दुर्गा पूजा और दीपावली के बीच कराए जाने की संभावना है।
चुनाव आयोग
Patna: बिहार की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो चुकी हैं। सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी महागठबंधन दोनों ने अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। ऐसे में अब सबकी नजरें चुनाव आयोग की ओर टिक गई हैं, जो कभी भी चुनावी तारीखों का ऐलान कर सकता है। सूत्रों के अनुसार, भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार 30 सितंबर के बाद बिहार दौरे पर आ सकते हैं।
जानकारी के अनुसार, इस बार बिहार में चुनाव का आयोजन अक्टूबर महीने में हो सकता है। दुर्गा पूजा और दीपावली के बीच यानी 2 अक्टूबर से लेकर 29 अक्टूबर के बीच वोटिंग कराई जा सकती है। चुनाव आयोग की योजना के अनुसार, 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी, जिसके बाद ही तारीखों की घोषणा होगी।
चुनाव आयोग
चुनावी तारीखों के कयास के बीच बिहार के राजनीतिक दलों ने भी कमर कस ली है। सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी महागठबंधन (INDIA) ने अपने-अपने स्तर पर बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। एनडीए में बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी (रामविलास) मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं, वहीं विपक्षी खेमे में आरजेडी, कांग्रेस, वाम दल और कुछ छोटे दल एकजुट होकर मुकाबले में उतरने की रणनीति बना रहे हैं।
चुनाव आयोग का बड़ा फैसला: 30 सितंबर तक पूरी हो एसआईआर की तैयारी, सभी राज्यों को निर्देश
बिहार चुनाव हमेशा से ही जातीय समीकरण, विकास के मुद्दे, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और बुनियादी सुविधाओं जैसे विषयों के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। इस बार भी इन मुद्दों को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। एनडीए सरकार अपने कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों और "डबल इंजन सरकार" के नाम पर वोट मांग सकती है, वहीं विपक्ष बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है।
इस बार बिहार में चुनाव आयोग EVM के साथ VVPAT मशीनों का उपयोग करेगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही मतदान केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की जाएंगी। मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग जागरूकता अभियान भी चला रहा है। इसके तहत मतदाता पंजीकरण, महिला वोटिंग को बढ़ावा और दिव्यांग मतदाताओं के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं।