बिहार SIR विवाद: क्या बिना नोटिस कटेगा किसी का नाम, चुनाव आयोग ने दी जानकारी

बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी के तहत चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे “विशेष गहन पुनरीक्षण” (SIR) अभियान को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने मतदाता सूची से नाम काटे जाने की आशंका जताई, जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि अब बिना नोटिस और ‘स्पीकिंग ऑर्डर’ के किसी का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 29 July 2025, 1:14 PM IST
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New Delhi: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग मतदाता सूची को अपडेट और पारदर्शी बनाने की प्रक्रिया में जुटा है। इस प्रक्रिया को "विशेष गहन पुनरीक्षण" (Special Intensive Revision - SIR) कहा जाता है। आयोग का उद्देश्य है कि फर्जी मतदाताओं की पहचान कर वोटर लिस्ट को दुरुस्त किया जाए। हालांकि, इस प्रक्रिया पर विपक्षी दलों की कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। बीते सप्ताह बिहार विधानसभा के मानसून सत्र में विपक्ष ने इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा किया और आरोप लगाया कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं।

क्या बिना नोटिस नाम कट सकता है?

विपक्ष की आशंका को लेकर रविवार को चुनाव आयोग ने बयान जारी किया। आयोग ने स्पष्ट किया कि बिना पूर्व सूचना या नोटिस के किसी भी मतदाता का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जा सकता। इस प्रक्रिया के तहत निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ERO) या सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (AERO) द्वारा मतदाता को पहले नोटिस भेजा जाएगा, फिर ही नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

'स्पीकिंग ऑर्डर' बना अनिवार्य

चुनाव आयोग ने एक और महत्वपूर्ण बात स्पष्ट की मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए ‘स्पीकिंग ऑर्डर’ अब अनिवार्य होगा। 'स्पीकिंग ऑर्डर' एक स्पष्ट और कारण सहित आदेश होता है, जिसमें यह बताया जाता है कि मतदाता का नाम क्यों हटाया जा रहा है। यह आदेश तभी मान्य होगा जब उसमें पूरी प्रक्रिया की जानकारी और कारण स्पष्ट रूप से दर्ज हो। इसका अर्थ है कि सिर्फ बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) द्वारा मौखिक या अस्थायी निर्णय अब पर्याप्त नहीं होगा। ERO या AERO द्वारा प्रमाणित आदेश के बिना नाम नहीं हटेगा।

1 अगस्त को प्रकाशित होगी मसौदा सूची

चुनाव आयोग ने जानकारी दी है कि 1 अगस्त को मतदाता सूची का ड्राफ्ट (मसौदा) संस्करण प्रकाशित किया जाएगा। इसमें अगर किसी मतदाता का नाम नहीं होता है, तो वह आपत्ति दर्ज कर सकता है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता को सुनिश्चित करने और लोगों को उनकी मतदाता पहचान से वंचित होने से बचाने के लिए अपनाई गई है।

क्या पहले बिना नोटिस कट जाते थे नाम?

विपक्ष की चिंता को पूरी तरह गलत नहीं ठहराया जा सकता। पहले के वर्षों में बूथ लेवल अधिकारी अपने स्तर पर कई बार नाम हटा देते थे, जिसकी जानकारी मतदाता को तब मिलती थी जब वह वोट डालने जाता था। इसके कारण कई बार लोगों को चुनाव प्रक्रिया से वंचित होना पड़ा था। इन्हीं खामियों को दूर करने के लिए अब ECI ने ‘नोटिस और स्पीकिंग ऑर्डर’ को अनिवार्य बनाया है। अब मतदाता के पास अपनी बात रखने का पूरा मौका रहेगा।

राजनीतिक विरोध के बीच पारदर्शिता की कोशिश

SIR को लेकर हो रहे विरोध के बावजूद, चुनाव आयोग का यह कदम चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है। आयोग ने यह भी साफ किया कि अगर किसी बड़े स्तर पर नाम हटाने की गड़बड़ी सामने आई, तो त्वरित हस्तक्षेप किया जाएगा।

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Published : 
  • 29 July 2025, 1:14 PM IST