Ballia News: डीएम और ABVP के बीच हुई तकरार में बलि चढ़े शहर कोतवाल, जानें पूरा माजरा

बलिया में ABVP कार्यकर्ताओं और जिलाधिकारी के बीच तकरार के बाद शहर कोतवाल योगेंद्र बहादुर सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया। कार्यकर्ता जिलाधिकारी से माफी और कोतवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 30 July 2025, 3:36 PM IST
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Ballia: उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद से एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां कलेक्ट्रेट परिसर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं और जिलाधिकारी के बीच हुई तकरार के बाद शहर कोतवाल योगेंद्र बहादुर सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया है। पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी करते हुए शहर कोतवाल की जिम्मेदारी राकेश कुमार को सौंप दी। यह घटना जिले में चर्चाओं का विषय बन गई है।

ABVP कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन
जानकारी के अनुसार, ABVP के एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर में जिलाधिकारी से मुलाकात की थी। यह मुलाकात निजी माध्यमिक विद्यालयों में बढ़ी हुई शुल्क दरों, खराब शिक्षा व्यवस्था और अन्य आठ सूत्रीय मांगों को लेकर थी। ABVP प्रतिनिधिमंडल के नेता अभिषेक यादव ने जिलाधिकारी से बैठक के दौरान अपनी बातें रखी।

बैठक में अभिषेक यादव, ऋषभ सिंह (जिला संगठन मंत्री) और अन्य कार्यकर्ताओं के बीच जिलाधिकारी से कहासुनी हो गई। जब जिलाधिकारी ने शहर कोतवाल योगेंद्र बहादुर सिंह को बुलाकर कार्यकर्ताओं को बाहर निकालने का आदेश दिया, तो ABVP कार्यकर्ता नाराज हो गए।

धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी
इस अपमानजनक घटना के बाद, अभिषेक यादव और ऋषभ सिंह ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया और नारेबाजी की। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक जिलाधिकारी द्वारा माफी नहीं मांगी जाती और प्रभारी निरीक्षक (कोतवाल) के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, उनका विरोध जारी रहेगा।

कोतवाल की सजा, प्रशासन की कार्रवाई
सड़क पर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए शहर कोतवाल योगेंद्र बहादुर सिंह को लाइन हाजिर कर दिया। अब उनकी जगह राकेश कुमार को शहर कोतवाल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई ABVP कार्यकर्ताओं के दबाव और कलेक्ट्रेट परिसर में हुए घटनाक्रम के बाद की गई।

इस पूरे घटनाक्रम से प्रशासन में खलबली मच गई है, और पुलिस विभाग में भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि क्या यह कदम सही था या नहीं। शहर के नागरिक भी इस घटना पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, और यह घटना बलिया में प्रशासनिक तंत्र पर सवाल उठा रही है।

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