

सोनभद्र जिले में डीएम के आदेश पर गठित टीम ने औचक निरीक्षण अभियान चलाया। कई अस्पतालों में वैध कागजात न मिलने पर उन्हें सील कर दिया गया। यह कार्रवाई 6 अगस्त को भारत हॉस्पिटल में मासूम की मौत के बाद शुरू की गई थी।
अवैध अस्पतालों पर प्रशासन का डंडा
Sonbhadra: जनपद में अवैध रूप से संचालित प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। जिलाधिकारी के आदेश पर गठित विशेष जांच टीम ने औचक निरीक्षण करते हुए कई अस्पतालों की जांच की और जिनके पास आवश्यक दस्तावेज नहीं पाए गए, उन्हें तत्काल सील कर दिया गया। यह कार्रवाई 6 अगस्त 2025 को कोन थाना क्षेत्र स्थित भारत हॉस्पिटल एंड सर्जिकल सेंटर में इलाज के दौरान मासूम की मौत की घटना के बाद हुई।
गौरतलब है कि भारत हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एक बच्चे की मौत हो गई थी। घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की काफी किरकिरी हुई और लोगों ने सीधे जिला प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की। यद्यपि मामले में स्थानीय थाने में मुकदमा दर्ज किया गया, लेकिन इससे लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। लोगों की भावनाओं को देखते हुए जिलाधिकारी ने जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया।
इस टीम में पुलिस महानिरीक्षक विंध्याचल परिक्षेत्र मीरजापुर और पुलिस अधीक्षक सोनभद्र के दिशा-निर्देश पर कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल किए गए। टीम में एसडीएम ओबरा, सीओ ओबरा, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. प्रेमनाथ, डॉ. कीर्ति आजाद और थाना प्रभारी कोन को शामिल किया गया। टीम ने पहले उस भारत हॉस्पिटल का निरीक्षण किया, जहां बच्चे की मौत हुई थी, उसके बाद आसपास के अन्य अस्पतालों का भी औचक निरीक्षण किया गया।
अस्पताल सीज
जांच के दौरान महिला होमियो हॉल हॉस्पिटल की संचालिका मीरा सिंह और आयुष्मान चिकित्सालय के पास अस्पताल संचालन के लिए आवश्यक वैध कागजात नहीं पाए गए। इस पर प्रशासन ने दोनों अस्पतालों को तत्काल सील करने की कार्रवाई की। वहीं, सत्यम फार्मा हॉस्पिटल के सभी दस्तावेज मौके पर सही पाए गए। हालांकि टीम ने अस्पताल प्रबंधन को कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश देकर छोड़ दिया। अधिकारियों ने साफ कहा कि जिन अस्पतालों के पास उचित दस्तावेज नहीं हैं, उनके खिलाफ आगे कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
निरीक्षण के दौरान मौजूद उप जिलाधिकारी ने कहा कि जिलाधिकारी के निर्देश पर इस तरह के औचक निरीक्षण अभियान आगे भी जारी रहेंगे। जिले में संचालित सभी प्राइवेट अस्पतालों की नियमित जांच की जाएगी ताकि मरीजों के स्वास्थ्य और जीवन से खिलवाड़ न हो। उन्होंने कहा कि यह कदम केवल अस्पतालों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए नहीं बल्कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित कराने के लिए है।
ग्रामीणों और शहरवासियों ने कहा कि समय-समय पर अस्पतालों की जांच बहुत जरूरी है ताकि अस्पताल संचालक लापरवाही या अवैध तरीके से काम करने की हिम्मत न जुटा सकें। लोगों का कहना है कि यदि ऐसी सख्ती पहले होती तो शायद मासूम की जान बचाई जा सकती थी। अब उम्मीद है कि अस्पताल प्रशासन नियम-कायदों के तहत काम करेंगे और मरीजों के इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरतेंगे।