सुप्रीम कोर्ट में नई व्यवस्था: वरिष्ठ वकीलों को नहीं मिलेगी तत्काल सुनवाई की सुविधा, जानिए CJI गवई ने क्या दिए निर्देश

देश की सर्वोच्च अदालत में एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत होने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार, 11 अगस्त 2025 से अब वरिष्ठ अधिवक्ता अपने मामलों की तात्कालिक सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश की अदालत में मौखिक उल्लेख नहीं कर पाएंगे।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 10 August 2025, 2:48 PM IST
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New Delhi: देश की सर्वोच्च अदालत में एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत होने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार, 11 अगस्त 2025 से अब वरिष्ठ अधिवक्ता अपने मामलों की तात्कालिक सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश की अदालत में मौखिक उल्लेख नहीं कर पाएंगे। इस परंपरा को तोड़ने की पहल  भारत के नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई ने की है। जो न्याय व्यवस्था में समान अवसर और न्यायिक पहुंच के नए संकेत दे रहे हैं।

क्या बदला गया है?

CJI गवई के निर्देश के अनुसार अब वरिष्ठ अधिवक्ताओं को तात्कालिक सुनवाई के लिए मौखिक रूप से कोई मामला मुख्य न्यायाधीश की अदालत में मेंशन करने की अनुमति नहीं होगी। इसके स्थान पर यह मौका अब उन युवा और जूनियर वकीलों को दिया जाएगा, जो अक्सर अदालत में खुद को साबित करने के लिए अवसरों से वंचित रह जाते हैं।

न्याय व्यवस्था में अवसरों का पुनर्वितरण

यह बदलाव केवल प्रक्रिया का नहीं, बल्कि सोच का भी है। वर्षों से वरिष्ठ वकीलों को उनकी प्रतिष्ठा और अनुभव के आधार पर यह विशेषाधिकार प्राप्त रहा है कि वे अदालत के समक्ष अपने मामलों को तुरंत सूचीबद्ध करवाने का अनुरोध कर सकें। लेकिन इससे अक्सर युवा वकीलों को पीछे धकेल दिया जाता था।

CJI गवई का यह फैसला इस 'सीनियरिटी-सेंटरिक' रवैये को चुनौती देता है और कहता है कि ‘अब समय है कि न्यायिक प्रक्रिया में अवसरों का संतुलन सुनिश्चित किया जाए।’

पिछली परंपरा का अंत, नई पहल की शुरुआत

पूर्व CJI जस्टिस संजीव खन्ना ने भी मौखिक प्रस्तुतियों की परंपरा को समाप्त करने की कोशिश की थी, और वकीलों से लिखित माध्यमों से ही उल्लेख करने को कहा था। अब CJI गवई ने उस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए, प्रक्रिया में मानवीय और व्यवहारिक पक्ष जोड़ा है — सीनियर वकील नहीं, अब जूनियर वकील मेंशनिंग करेंगे।

न्याय का लोकतांत्रिकरण?

कानूनी गलियारों में इस फैसले को "न्याय के लोकतांत्रिकरण की दिशा में एक ठोस कदम" माना जा रहा है। इससे न केवल कोर्टरूम में युवा वकीलों की उपस्थिति और भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया भी अधिक समावेशी और पारदर्शी बनेगी।

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Published : 
  • 10 August 2025, 2:48 PM IST